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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कॉप-28 जलवायु सम्मेलन में यूएई की ओर से 475 मिलियन डॉलर के ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड की शुरूआत किए जाने की सराहना की। फंड विकासशील देशों को बाढ़, सूखे और लू (हीट वेव) के प्रभावों से होने वाले नुकसान पर मुआवजा देगा।
दुबई में कॉप-28 विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रांसफॉर्मिंग क्लाइमेट फाइनेंस पर एक सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत ने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन को रोकने से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने जलवायु निवेश कोष की घोषणा के लिए यूएई को बधाई भी दी।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी जानते हैं कि भारत सहित ग्लोबल साउथ देशों की क्लाइमेट चेंज में भूमिका बहुत कम रही है। लेकिन क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभाव उन पर कहीं अधिक हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद ये देश क्लाइमेट एक्शन के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ के राष्ट्र विकसित देशों से अपेक्षा करते हैं कि वे जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए उन्हें यथासंभव मदद करें, जो स्वाभाविक और न्यायोचित भी है। उन्होंने यह भी दोहराया कि "उपलब्ध, सुलभ और किफायती" जलवायु कार्रवाई के लिए खरबों डॉलर के जलवायु वित्त की आवश्यकता है और उम्मीद है कि कॉप-28 इस दिशा में एक प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
मोदी ने कहा कि जी-20 में इसे लेकर सहमति बनी है कि क्लाइमेट एक्शन के लिए 2030 तक कई ट्रिलियन डॉलर क्लाइमेट फाइनेंस की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यूएई के क्लाइमेट फाइनेंस फ्रेमवर्क पहल से इस दिशा में बल मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘लॉस एंड डैमेज’ की शुरूआत से कॉप-28 शिखर सम्मेलन में एक नई आशा का संचार हुआ है। मोदी ने यह भी आशा जताई कि क्लाइमेट फाइनेंस (जलवायु वित्त) से संबंधित अन्य मुद्दों पर ठोस परिणाम निकलेंगे और विकसित देश 2050 से पहले अपना कार्बन फुटप्रिंट जरूर खत्म करेंगे।
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