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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को एक और इतिहास रच दिया है। इसरो ने नये साल के पहले दिन सोमवार को एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह का प्रक्षेपण किया। इसका उद्देश्य ब्लैक होल जैसे आकाशीय पिंडों के रहस्यों का अध्ययन करना है।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सफल प्रक्षेपण पर कहा कि आज एक और सफल अभियान पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है।
एस सोमनाथ ने कहा कि सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपने सी 58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया। पीएसएलवी ने यहां पहले अंतरिक्ष तल से सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी थी।
सफल मिशन के बाद मीडिया से बातचीत में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि एक जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल अभियान पूरा हुआ। पीएसएलवी-सी58 ने प्रमुख उपग्रह एक्सपोसैट को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया है। इस बिंदु से पीएसएलवी के चौथे चरण की कक्षा सिमट कर निचली कक्षा में बदल जाएगी, जहां पीएसएलवी का ऊपरी चरण जिसे ‘पोअम' बताया गया है वह पेलोड के साथ प्रयोग करेगा और उसमें थोड़ा वक्त लगेगा।
क्या करेगा एक्स रे पोलरिमीटर
पोलरिमीटर उपग्रह एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल' की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। यह मिशन पांच साल तक काम करेगा।
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