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नई दिल्ली। ड्राइवरों की हड़ताल को लेकर केन्द्र सरकार गंभीर है। इस मामले को लेकर मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के एक प्रतिनिधि मंडल से बातचीत करेंगे।
गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कोई भी कानून ड्राइवरों के हितों के विरुद्ध नहीं है। बल्कि अगर वो गलत नहीं हैं तो नये कानून उनकी रक्षा करने वाले हैं। नये कानून में प्रावधान है कि अगर किसी सड़क हादसे के बाद गाड़ी चालक पुलिस-प्रशासन को सूचना देता है तो कानून उसके साथ है। ऐसे मामले में 10 वर्ष की सजा नहीं होगी। लेकिन हादसे के बाद अगर वाहन चालक बिना पुलिस-प्रशासन को सूचित किए भाग जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
केन्द्र सरकार का कहना है कि हिट एंड रन मामले में जो प्रावधान बढ़ाया गया है 10 साल तक, ये सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जर्वेशन के तहत लिखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एकाधिक मामले में कहा है कि वाहन चालक जो लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं और सड़क पर दुर्घटना करके जिससे किसी की मौत हो जाती है, वहां से भाग जाते हैं, ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही सख़्त होनी चाहिए।
केन्द्र सरकार का कहना है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) सब-सेक्शन 106 (1) और सब-सेक्शन 106 (2) से यह स्पष्ट होता है कि यदि व्यक्ति घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत की घटना की रिपोर्ट करता है, तो उस पर सब-सेक्शन 106 (2) की जगह सब-सेक्शन 106 (1) के तहत आरोप लगाया जाएगा, जिसमे 0-5 साल तक की सजा है, जबकि सब-सेक्शन 106(2) के तहत 0-10 साल के सजा का प्रावधान है। धारा 106 (1) अभी एक जमानती अपराध है, और धारा 106 (2) गैर-जमानती है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए संशोधन को लेकर ड्राइवर दो दिनों से चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का आरोप है कि नये कानून में ड्राइवरों के हितों की रक्षा नहीं की गई है।
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