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नई दिल्ली। 'कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक, राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना दिया है। अब यह भक्ति अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर के रूप में मूर्त रूप ले रही है। यह गौरवमय मंदिर भारत की एकता और भक्ति के प्रतीक के रूप में खड़ा है, न केवल भव्यता में, बल्कि देश-विदेश से मिले योगदान के रूप में भी अद्वितीय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' पहल इस मंदिर के साथ गहराई से जुड़ी दिखती है। यह मंदिर उस अटूट विश्वास और उदारता का प्रमाण है जो किसी सीमा से परे किसी मंदिर के तीर्थाटन के लिए पूरे देश को जोड़ती है।' यह विचारपुंज प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्याधाम में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर रविवार को भारत सरकार के पत्र एवं सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने बिखेरे हैं।
पीआईबी के अनुसार, मंदिर का मुख्य भाग राजसीठाठ-बाट लिए हुए है। यह राजस्थान के मकराना संगमरमर की प्राचीन श्वेत शोभा से सुसज्जित है। इस मंदिर में देवताओं की उत्कृष्ट नक्काशी कर्नाटक के चर्मोथी बलुआ पत्थर पर की गई है। जबकि, प्रवेश द्वार की भव्य आकृतियों में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।
इस मंदिर के लिए भक्तों का किया गया योगदान निर्माण सामग्री से कहीं आगे तक जाता है। मंदिर में गुजरात की उदारता उपहार स्वरूप 2100 किलोग्राम की शानदार अष्टधातु घंटी के रूप में दिखती है जो इसके हॉलों में दिव्य धुन के रूप में गूंजेगी। इस दिव्य घंटी के साथ गुजरात ने एक विशेष नगाड़ा ले जाने वाला अखिल भारतीय दरबार समाज द्वारा तैयार 700 किलोग्राम का रथ भी उपहार स्वरूप दिया है। भगवान राम की मूर्ति बनाने में इस्तेमाल किया गया काला पत्थर कर्नाटक से आया है। हिमालय की तलहटी से अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने जटिल नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और हस्तनिर्मित संरचना पेश किए हैं, जो दिव्य क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में खड़े हैं।
इस विशेष विज्ञप्ति के अनुसार, इस भव्य और दिव्य मंदिर के लिए योगदान की सूची यहीं खत्म नहीं होती। पीतल के बर्तन उत्तर प्रदेश से तो पॉलिश की हुई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र से आई है। इस राम मंदिर की कहानी सिर्फ सामग्री और उसकी भौगोलिक उत्पत्ति के बारे में नहीं है। यह उन अनगिनत हजारों प्रतिभाशाली शिल्पकारों और कारीगरों की कहानी है जिन्होंने मंदिर निर्माण के इस पवित्र प्रयास में अपना दिल, आत्मा और कौशल डाला है।
राम मंदिर अयोध्या में सिर्फ एक स्मारक नहीं है; यह विश्वास की एकजुट शक्ति का जीवंत प्रमाण है। हर पत्थर, हर नक्काशी, हर घंटी, हर संरचना 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की कहानी कहती है जो भौगोलिक सीमाओं से परे सामूहिक आध्यात्मिक यात्रा में दिलों को जोड़ता है।
MadhyaBharat
21 January 2024
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