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मुंबई। मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में पारित 10 फीसदी मराठा आरक्षण को अमान्य बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी भूख हड़ताल जारी रहेगी। साथ ही बुधवार को वे मराठा नेताओं के साथ बैठक कर राज्य सरकार के विरुद्ध आंदोलन की नई दिशा तय करेंगे।
मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार मराठा समाज को मुर्ख बनाने का प्रयास कर रही है। मराठा समाज को पता है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा। इसी वजह से उन्होंने मराठा समाज को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग की थी। साथ ही जिन मराठा समाज के लोगों को कुनबी जाति के निजामकालीन सबूत मिले हैं, उसी आधार पर मराठा के लोगों को सगा संबंधी बताकर कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए। उनकी इसी मांग के आधार पर सरकार की ओर से दो बार आश्वासन देकर उनकी भूख हड़ताल खत्म करवाई थी। इसी नाम पर आज का विधानमंडल का विशेष अधिवेशन राज्य सरकार ने नियोजित किया था। लेकिन आज विधानमंडल के विशेष अधिवेशन में अलग ही निर्णय लिया गया है, जो मराठा समाज को मान्य नहीं है। इसी वजह से वे अब सरकार के विरुद्ध आंदोलन की भूमिका तय करेंगे और ओबीसी कोटे से आरक्षण लेकर रहेंगे।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज विधानसभा में कहा कि मराठा समाज को सगे संबंधी के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्र दिए जाने को लेकर छह हजार आपत्तियां आई हैं। मुख्यमंत्री के रूप में वे किसी भी जाति का न तो पक्ष ले सकते हैं और ना ही किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए आंदोलन करने वालों को सरकार की भूमिका समझनी चाहिए। सरकार किसी भी कीमत पर मराठा समाज को दिए गए आरक्षण को नुकसान नहीं पहुंचने देगी। इसके लिए वकीलों की फौज सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से तैनात की जाएगी। लेकिन मनोज जारांगे पाटिल अपनी भूमिका पर अडिग हैं और उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है।
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