Since: 23-09-2009
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीन की सीमा पर लेह (लद्दाख) में सशस्त्र बल के जवानों के साथ होली मनाई। रक्षा मंत्री ने जवानों को रंग-गुलाल लगाकर और मिठाई खिलाकर उन्हें होली की बधाई दी। पहले उन्हें सियाचिन में सैनिकों के साथ होली मनाने के लिए जाना था लेकिन आज सुबह विपरीत मौसम के चलते अचानक उनका कार्यक्रम बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे देवी-देवता किसी न किसी तरीके से हमारी रक्षा ही करते हैं। उसी तरह दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हुए सभी सैनिक भी हमारे लिए किसी रक्षक देवता से कम नहीं हैं।
रक्षा मंत्री दीपावली और होली का त्योहार देश की किसी न किसी सीमा पर जाकर सैनिकों के साथ मनाते हैं। उन्होंने पिछले साल 06 मार्च को स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस 'विक्रांत’ पर तैनात नौसैनिकों को गुलाल लगाकर उनके साथ होली की खुशियां साझा कीं थीं। इस बार उन्हें दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात जवानों के साथ होली मनाने के लिए जाना था लेकिन विपरीत मौसम के चलते राजनाथ सिंह उत्तरी सीमा पर लेह (लद्दाख) में सशस्त्र बल के जवानों के साथ होली मनाने के लिए पहुंचे।
होली से एक दिन पहले रक्षा मंत्री ने जवानों को रंग-गुलाल लगाया और त्योहार की बधाई दी। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले रक्षा मंत्रालय का दायित्व मिलने के बाद मेरा पहला दौरा सियाचिन का ही हुआ था। आज मौसम खराब होने के कारण सियाचिन जाना संभव नहीं हो पाया, इसलिए वहां तैनात सभी सैनिकों को यहीं लेह से होली की शुभकामनाएं देता हूं। वैसे तो अनेक अवसरों पर सेना के जवानों से मिलता रहता हूं लेकिन होली के अवसर पर आप लोगों से मिलना और आपके साथ होली खेलना मेरे लिए सबसे सुखद क्षणों में से एक है।
उन्होंने कहा कि आप सभी सैनिक होने के नाते भारत के प्रत्येक परिवार के सदस्य हैं। मैं भारत के सभी परिवारों के प्रेम का रंग लिए आपके बीच आया हूं। आप भले ही मुझे रक्षा मंत्री के रूप में यहां देख रहे हैं लेकिन मैं आपके स्वजन के रूप में होली के दिन अपने परिवार वालों से मिलने आया हूं। मैं देशवासियों की होली की शुभकामनाओं के साथ-साथ आपके लिए उनका आशीर्वाद लाया हूं। भारतीय सेना इच्छाशक्ति और साहस का दूसरा नाम है। आपके बीच आकर मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे रगों में रक्त की नई धारा का संचार होने लगा है। आप जिस ऊंचाई पर खड़े होकर इतनी विषम परिस्थिति में देश की सेवा करते हैं, वह अतुलनीय है।
राजनाथ ने कहा कि हड्डियों को कंपा देने वाली सर्द हवाएं जब इन वादियों में बहती हैं, तो हर कोई अपने घरों में दुबक जाना चाहता है। इसके बावजूद विपरीत परिस्थिति में भी आप मौसम से लोहा लेकर दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर खड़े होते हैं। इस अटूट इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करने के लिए देश सदैव आपका ऋणी रहेगा। आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तब बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में उबाल लाने वाली आपकी वीरता के कार्यों को गौरव के साथ याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी त्योहार पहले सियाचिन और कारगिल की चोटियों पर, राजस्थान के तपते रेतीले मैदान में, हिंद महासागर की गहराई में स्थित पनडुब्बी में सवार भारतीय नौसैनिकों के साथ मनाए जाने चाहिए।
MadhyaBharat
24 March 2024
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|