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मुरैना। भैस पालन के लिए करीब 6 लाख रूपए का लोन स्वीकृत होने पर उसकी सब्सिडी को स्वीकृत कराने के एवज में अपने ही विभाग के कर्मचारी से रिश्वत लेने वाले पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक आरपीएस भदौरिया और उनके सहायक को लोकायुक्त पुलिस ने 3 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। हालांकि 7 हजार रूपए की रिश्वत वह पहले ले चुके थे। लोकायुक्त टीम ने उनके हाथ धुलवाए तो गुलाबी हो गए। उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
पशु चिकित्सा विभाग नूराबाद में पदस्थ कर्मचारी सुरेन्द्र मावई के भाई के नाम विद्यासागर योजना में 6 लाख का लोन स्वीकृत हुआ था। सब्सिडी के 25 प्रतिशत राशि को स्वीकृत करने के एवज में उपसंचालक आरपीएस भदौरिया और उनके सहायक 10 फीसदी रिश्वत की मांग कर रहे थे। सुरेन्द्र द्वारा उन्हें 7 हजार रूपए रिश्वत थमा दी गई थी। लेकिन वह तीन हजार और मांग रहे थे। रकम पूरी दिए बिना वह सब्सिडी स्वीकृत नहीं कर रहे थे। परेशान सुरेद्र ने लोकायुक्त के अधिकारियों को जाकर पूरी बात बताई। इसके बाद लोकायुक्त टीम ने पूरी कार्ययोजना तैयार की। मंगलवार को सुरेन्द्र उन्हें रिश्वत देने के लिए उनके कार्यालय पहुंचा। पीछे से लोकायुक्त के डीएसपी विनोद सिंह, इंस्पेक्टर कविन्द्र सिंह चौहान और टीम के अन्य सदस्य भी छिपकर बैठ गए। जैसे ही सुरेन्द्र ने रिश्वत दी तुरंत ही लोकायुक्त की टीम ने जाकर पकड़ लिया।
फरियादी सुरेन्द्र ने लोकायुक्त टीम को बताया कि जब रिश्वत के लिए उसने आना कानी की तो उपसंचालक का कहना था कि पैसों के लिए तो मैं अपने बाप को नहीं छोड़ता। तु हे तो पैसे देने होगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक गुर्जर बिना पैसे दिए काम कराकर चला गया था।मैं बिना पैसे दिन काम नहीं करूंगा। एसपी लोकायुक्त रामेश्वर यादव ने बताया कि उपसंचालक को 3 हजार की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा है। भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
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