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रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में बेहतर शिक्षा के साथ बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई “न्योता भोजन” योजना को आगामी शैक्षणिक सत्र से और अधिक प्रभावी बनाने के लिये गुरुवार को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को वार्षिक कैलेण्डर बनाने निर्देश दिए गए हैं, जिससे सभी शालाओं में बच्चों को माह में कम से कम दो बार न्योता भोजन का लाभ मिल सके। इस योजना के माध्यम से बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय की योजना में सहभागिता भी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 21 फरवरी 2024 को अपना जन्म दिवस जशपुर जिला स्थित अपने गृह ग्राम बगिया में बालक आश्रम में बच्चों के बीच मनाते हुये बच्चों के साथ भोजन कर ”न्योता भोजन” की शुरुआत की है। योजना के प्रारम्भ होने के पश्चात राज्य में अनेक जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों, सामाजिक संगठनों के द्वारा राज्य की शालाओं में न्योता भोजन का आयोजन किया जा रहा है। अब तक राज्य में 17 हजार से अधिक न्योता भोजन का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें 11 लाख से अधिक बच्चे लाभांवित हुये हैं।
”न्योता भोजन” की अवधारणा भारत सरकार की प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के “तिथि भोजन” कार्यक्रम पर केन्द्रित है। यह योजना सामुदायिक भागीदारी, विभिन्न त्योहारों या अवसरों जैसे वर्षगांठ, जन्मदिन, विवाह और राष्ट्रीय पर्व आदि पर बड़ी संख्या में लोगों को भोजन प्रदान करने की भारतीय परम्परा पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में भोजन हेतु आमंत्रित करने को “न्योता” कहा जाता है। इसी आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य में तिथि भोजन को ”न्योता भोजन” के नाम से लागू किया गया है।
यह योजना पूरी तरह स्वैच्छिक है। समुदाय के लोग अथवा कोई भी सामाजिक संगठन या तो पूर्ण भोजन का योगदान कर सकते हैं या अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में मिठाई, नमकीन, फल या अंकुरित अनाज आदि के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान कर सकते हैं। न्योता भोजन शाला में दिये जाने वाले भोजन का विकल्प नहीं है, बल्कि यह केवल शाला में प्रदान किये जाने वाले भोजन का पूरक है। समुदाय के सदस्य किचन सामग्री जैसे भोजन पकाने के पात्र, बच्चों के खाने के प्लेट, थाली, गिलास तथा किचन के लिये गैस सिलेण्डर एवं चूल्हा भी उपलब्ध करा सकते हैं।
MadhyaBharat
9 May 2024
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