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भोपाल। राजधानी भोपाल के भदभदा बस्ती से हटाए गए लोगों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट का घेराव कर लिया। कई महिलाएं तो बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट पर ही बैठ गईं। उनका कहना है कि फरवरी में उन्हें जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश के बाद सख्ती से हटा दिया था, लेकिन आवास के बदले आवास नहीं दिया। इससे वे बेघर हो गए हैं। जो एक लाख रुपये दिए थे, वो भी किराए में ही खर्च हो गए। कलेक्टर के आश्वासन के बाद सभी लोग वापस लौट गए।
दरअसल, एनजीटी के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने बड़ी झील के किनारे भदभदा बस्ती के अतिक्रमण को हटा दिया है। इससे पहले नगर निगम की ओर से मुनादी भी कराई थी। वहीं, रहवासियों को अतिक्रमण हटाने के लिए तीन दिन का समय दिया था। सोमवार को यह अवधि खत्म हो गई। अब घर के बदले घर देने की मांग को लेकर विस्थापित परिवारों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया। कई महिलाएं बच्चों सहित सुबह साढ़े नौ बजे ही कलेक्ट्रेट पहुंच गई थीं। जब न तो कोई पुलिस बल तैनात था और न ही कोई अधिकारी था। वह सीधे गेट से अंदर जा पहुंचे और कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर ही धरना प्रदर्शन करने लगे। उनके साथ कांग्रेस के पूर्व विधायक पीसी शर्मा और नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी भी मौजूद थे। जानकारी मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों की समझाइश दी। कलेक्टर स्वयं मौके पर पहुंचे और लोगों को मकान के बदले मकान देने का आश्वासन दिया। इसके बाद लोग माने और वापस लौट गए।
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि जो रहवासी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान चाहते हैं, उन्हें आवेदन करने पर लोन और घर दिया जाएगा। इन्हें जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। चांदबड़ में जगह भी चयनित की गई है। वे वहां भी शिफ्ट हो सकते हैं। मुआवजा राशि के चेक लेकर भी वे शिफ्ट हो सकते हैं।
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