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भोपाल। मध्य प्रदेश के मदरसों में हिंदू बच्चे भी पढ़ रहे हैं। ऐसे कुल 9,417 हिंदू बच्चे हैं, जिन्हें मदरसों में उर्दू के साथ इस्लाम की तालीम दी जा रही है। चौकाने वाली बात यह है कि इन मदरसों को प्रदेश सरकार आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है। मदरसों में न तो सुरक्षा के इंतजाम हैं और न ही एनसीईआरटी की शिक्षा व्यवस्था लागू है। यह खुलासा शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने किया है।
कानूनगो ने शुक्रवार को भोपाल प्रवास के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, लेकिन इस ओर स्कूल शिक्षा विभाग का कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने प्रदेश सरकार से हिंदू बच्चों को तत्काल मदरसों से बाहर निकालकर स्कूलों में प्रवेश दिलाने की मांग करते हुए कहा कि हम प्रदेश सरकार को पहले भी मदरसों का सर्वे और उनकी मैपिंग कराने की मांग कर चुके है। इसमें यह भी देखा जाना चाहिए कि इन मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक निर्धारित शैक्षिक योग्यता पूरी करते हैं या नहीं।
18 जून को मुख्य सचिव को तलब किया
कानूनगो शुक्रवार को मंत्रालय भी पहुंचे। उन्होंने यहां प्रदेश में बाल संरक्षण की स्थिति जानने के 12 विभागों की समीक्षा की। उनके अनुसार, वक्फ बोर्ड ने जानकारी दी है कि प्रदेश में चार यतीम खाने संचालित हैं, लेकिन यह किशोर न्याय अधिनियम के तहत शासन में पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे सभी मुद्दों को लेकर आयोग ने 18 जून को मप्र के मुख्य सचिव को रिपोर्ट के साथ तलब किया है।
आयोग ने प्रदेश के डिंडोरी, दमोह में सरकारी मदद से चल रहे मिशनरी आश्रमों और एनजीओ की जानकारी भी मांगी है। मध्य प्रदेश में ऐसे 56 आश्रम, 30 स्कूल संचालित हैं। कानूनगो ने बताया कि मध्य प्रदेश में लगभग एक हजार बच्चे एचआईवी से पीड़ित हैं। पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत 2221 मामले दर्ज किए गए हैं लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसे मामले अधिक हैं। इसकी हम जांच करेंगे। आयोग ने पुलिस मुख्यालय से ऐसे पीड़ित बच्चों का डाटा और दर्ज प्रकरणों की जानकारी मांगी है।
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