Since: 23-09-2009

  Latest News :
भारत की प्राचीन ऋषि परंपरा का डंका पूरे विश्व में बज रहा - उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़.   डंप किए गए नक्सलियों के बंदूक सहित विस्फोटक सामग्री बरामद.   अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का दिया आश्वासन.   जिरीबाम में गोलीबारी में 5 लोगों की मौत.   संदीप घोष के नाम पर बेलाघाट और हातियारा में भी संपत्ति का खुलासा.   अफजल गुरु पर उमर अब्दुल्ला के बयान को भाजपा ने बताया भारत विरोधी.   मैनिट के छात्र की सड़क हादसे में माैत.   बीजेपी कार्यालय में विराजे भगवान गणेश.   एएसपी के ड्राइवर को लगी गोली पिस्तौल की सफाई के दौरान हुआ फायर.   शहीद प्रदीप को सीएम ने खजुराहो एयरपोर्ट पर दी श्रद्धांजलि.   मजदूरों से भरा पिकअप वाहन पलटा तीन की मौत.   जबलपुर रेलवे स्टेशन के पास ओवरनाइट एक्सप्रेस के 2 कोच पटरी से उतरे.   ट्रेलर के पलटने से मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले अंतरराज्यीय मार्ग बाधित.   भूपेश बघेल दीपक बैज बताएं कांग्रेस के टिकट बेचने वाले ठेकेदार कौन है : केदार कश्यप.   गणेश पंडाल में करेंट की चपेट में आने से टैंकर चालक की मौत.   मुख्यमंत्री निवास में विराजे भगवान गणेश.   बस्तर संभाग के 6 जिलों में भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी.   छत्तीसगढ़ में अब तक 948.0 मिमी औसत वर्षा दर्ज.  
पिता परिवार की नींव, हमारी बुनियाद हैं
bhopal, Father, our foundation

(प्रवीण कक्कड़)

 

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।

 

कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।।

 

भारत जैसे देश में पिता के लिए कोई एक दिन नहीं होता

 

सातों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर...ठीक ऐसा ही पिता के साथ है।  पिता पृथ्वी पर तो साक्षात् भगवान  हैं। इसीलिए हम परमपिता को भी परमेश्वर कहते हैं। लेकिन जो पिता जन्म देता है, बचपन से लेकर जवानी तक हमें काबिल बनाता है। अपनी इच्छाओं को मारकर हमारी जरूरतों को पूरा करता है। दिन-रात अपने परिवार और संतानों के लिए परिश्रम करता है। उस लौकिक पिता का महत्व अलौकिक परमपिता से ज्यादा है। क्योंकि इससे संसार से परिचय हमें पिता ही कराता है। वह केवल हमें संसार में लेकर नहीं आता बल्कि संसार के महासागर में तैरना भी सिखाता है।

 

पिता घरों की नींव है, पिता हमारी शान।

 

कड़वा रुखवा नीम का, इसमें सबकी जान।।

 

फादर्स डे या पिता दिवस पश्चिम की एक परंपरा हो सकती है लेकिन भारत में पिता का अर्थ बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण है। भारत में पिता श्रद्धा और समर्पण का पर्याय है। यदि संतान पिता के प्रति श्रद्धा रखी है तो पिता भी संतानों के प्रति समर्पण का भाव रखता है। अपने पुरुषार्थ का अधिकांश हिस्सा अपनी संतानों को समर्पित करता है। एक परिवार को विकसित और पल्लवित करता है और फिर राष्ट्र के निर्माण में बहुमूल्य योगदान देता है। यदि जननी राष्ट्र के निर्माण की पहली सीढ़ी है तो पिता राष्ट्र के निर्माण की नींव है। यदि जननी सहनशीलता की पराकाष्ठा है तो पिता धैर्य का महासागर है। पश्चिम का दर्शन कहता है कि माता प्रथम शिक्षक हैं लेकिन हमारे वांग्मयम में पिता को अंतिम गुरु कहा गया है।

 

पिता आश की जोत है, संतति का विश्वास।

 

घर का सूरज है पिता, नाता सबसे खास।।

 

एक पिता तभी गौरवान्वित होता है जब उसकी संतान उससे चार कदम आगे चले। जब उसकी संतान की उपलब्धियां उससे कहीं ज्यादा हों। जब उसकी संतान की सामाजिक और आर्थिक हैसियत उससे आगे बढ़कर हो। संसार में पिता ही एकमात्र प्राणी है जो उसकी संतान के उत्कर्ष का आनंद लेता है। भाई - भाई की प्रतिष्ठा से जल सकता है। बहनों में ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा का भाव हो सकता है। मित्र, पड़ोसी और शुभचिंतक भी अपने किसी खास का उत्कर्ष कई बार बर्दाश्त नहीं कर पाते लेकिन पिता वह है जो अपने पुत्र के आगे बढ़ते हर कदम पर गौरवान्वित और प्रसन्न होता है। वह अपनी संतान की उपलब्धियों से खुद को ऊंचाइयों पर महसूस करता है।

 

सब धरती कागज करूँ लिखनी (लेखनी ) सब बनराय।

 

सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥

 

जैसे गुरु का गुण लिखने के लिए महासागर की स्याही भी कम पड़ती है वैसे ही पिता की महत्ता लिखने के लिए पूरी धरती को कागज बनाकर लिखना भी कम पड़ सकता है। एक संतान की सबसे बड़ी सफलता वही है कि उसके पिता उससे संतुष्ट रहें, सुखी रहें, उसे देखकर सदैव खुश रहें। यदि पिता अपनी संतान को देखकर खुश है, गौरवान्वित है, अभिभूत है तो फिर मानकर चलिए कि संतान ने अपने जीवन की समस्त उपलब्धियों को पा लिया है। दुनिया के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग परंपरा होती है। हम भारत के लोग सभी अच्छी परंपराओं का अनुसरण करते हैं। पिता के लिए तो सभी 365 दिन है किंतु फिर भी पश्चिम में मनाए जाने वाले पिता दिवस या फादर्स डे के दिन हम अपने आप से यह सवाल तो कर ही सकते हैं कि क्या हमारे पिता हमें देखकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। यदि इसका जवाब हां है तो आप एक सफल संतान हैं।

 

सजग पिता लिखता सदा, बच्चों की तकदीर।

 

पूत सफल हो तो लगे,पा ली जग की जागीर।।  

 

 बॉक्स

 

 19 जून 1910 को पहली बार मनाया गया फादर्स डे

 

फादर्स डे सर्वप्रथम 19 जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। साल 2019 में फादर्स-डे के 109 साल पूरे हो गए। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है- सोनेरा डोड की। सोनेरा डोड जब नन्ही सी थी, तभी उनकी मां का देहांत हो गया। पिता विलियम स्मार्ट ने सोनेरो के जीवन में मां की कमी नहीं महसूस होने दी और उसे मां का भी प्यार दिया। एक दिन यूं ही सोनेरा के दिल में ख्याल आया कि आखिर एक दिन पिता के नाम क्यों नहीं हो सकता? इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। 1924 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कोली ने फादर्स डे पर अपनी सहमति दी। फिर 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा की। 1972 में अमेरिका में फादर्स डे पर स्थायी अवकाश घोषित हुआ। फ़िलहाल पूरे विश्व में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है। इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढती भूमंडलीकरण की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है और पिता के प्रति प्रेम के इज़हार के परिप्रेक्ष्य में भी।

MadhyaBharat 16 June 2024

Comments

Be First To Comment....
Video

Page Views

  • Last day : 8641
  • Last 7 days : 45219
  • Last 30 days : 64212


x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.