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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में कहा है कि गुजारा भत्ता कोई चैरिटी अथवा दान नहीं है बल्कि विवाहित महिलाओं का अधिकार है और यह सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी धर्म की हों।
जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला भी पति से गुजार भत्ता मांगने की हकदार है।
दरअसल, एक मुस्लिम शख्स ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े विस्तृत पहलू पर सुनवाई करते हुए ये अहम फैसला दिया है।
MadhyaBharat
10 July 2024
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