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हिंसा ग्रस्त बांग्लादेश से वापस लौट रहे छात्रों से रास्ते में हो रही है वसूली
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कोलकाता। बांग्लादेश में जारी हिंसा के चलते छात्रों का भारत लौटने का सिलसिला जारी है। उत्तर के फूलबाड़ी सीमा से भारतीय, नेपाली और भूटानी छात्र भारत लौट रहे हैं। इन छात्रों ने बांग्लादेश से वापस आने की खौफनाक अनुभवों को साझा किया है। रास्तों में रुकावटें और स्थानीय लोगों द्वारा पैसे वसूलने की घटनाएं आम हो गई हैं। इन पैसों की मदद से ही ये छात्र भारत में प्रवेश करने में सफल हो पाए हैं।  शनिवार को सिलीगुड़ी पहुंची नेपाल की निवासी अस्मिता कार्की ने बताया कि वह बांग्लादेश के गोपालगंज में वेटनरी मेडिसिन की पढ़ाई कर रही थीं। हालांकि, उनके विश्वविद्यालय में कोई अशांति नहीं थी, लेकिन कर्फ्यू जारी कर दिया गया था। 

 

अस्मिता ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी सुरक्षा की व्यवस्था करने का प्रयास किया, लेकिन वे वहां रहने को लेकर डरे हुए थे। नेपाल के लगभग 10 छात्रों ने मिलकर एक गाड़ी बुक की और भारत लौटने का निर्णय लिया। मुख्य सड़कों के बजाय वे ग्रामीण रास्तों से वापस लौट रहे थे। लेकिन जगह-जगह स्थानीय लोगों ने सड़कों को अवरुद्ध कर रखा था और पैसे वसूल रहे थे।  अस्मिता के अनुसार, गाड़ी को रोककर पैसे वसूले जा रहे थे। हमने भुगतान किया जिसके बाद हम वापस आ सके। नेपाल के एक और छात्र लालन ठाकुर, जो बी फार्मा की पढ़ाई कर रहे थे, ने भी भारत लौटने का निर्णय लिया। उनके अनुसार, मुख्य समस्याएं शहरी क्षेत्रों में हो रही थीं। लेकिन स्थिति और गंभीर हो जाने पर वे वहां फंस सकते थे, इसलिए वे भी वापस लौट आए।    डॉक्टरी छात्रों की हो रही वापसी   स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पिछले दो दिनों में चांगराबांधा सीमा से 46 डॉक्टरी छात्र भारत पहुंचे हैं। इनमें भारतीयों के साथ-साथ नेपाल, भूटान और मालदीव के छात्र भी शामिल हैं। वहीं, फूलबाड़ी सीमा से 20 छात्र लौटे हैं। इनमें से कुछ छात्र अपने रिश्तेदारों के यहां गए थे। स्थिति बिगड़ते ही वे दूसरों की बाइक पर सवार होकर वापस लौट आए।  बांग्लादेश में परिजनों से नहीं हो पा रहा संपर्क   बांग्लादेश से अपने बेटे के साथ सिलीगुड़ी घूमने आए मोहम्मद कमालुद्दीन भी पिछले कुछ दिनों से घर से संपर्क नहीं कर पा रहे थे। वहां मोबाइल इंटरनेट और वाईफाई की सेवाएं काम नहीं कर रही थीं। ऐसे में वे शनिवार को जल्दबाजी में वापस लौटे हैं। अपने प्रियजनों की स्थिति को लेकर वे बेहद चिंतित हैं।

MadhyaBharat 20 July 2024

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