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ढाका। व्यापक स्तर पर कर्फ्यू और सख्त प्रावधानों के बावजूद बांग्लादेश में जारी आरक्षण विरोधी आंदोलन की आग फैलती जा रही है। हालत यह है कि राजधानी ढाका में शनिवार को हुए हिंसक टकराव में 10 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 90 लोग घायल हो गए। मरने वालों में दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
देश की राजधानी सहित अलग-अलग हिस्सों में आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान व्यापक स्तर पर हिंसक घटनाओं को देखते हुए शनिवार को पुलिस ने राजधानी के कई हिस्सों में सख्त कर्फ्यू लगा दिया। पुलिस को उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। इसके बावजूद हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान मंगलवार से शुरू हुई हिंसा में अबतक करीब 114 लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार बिगड़ती हालत के बाद सरकार ने शुक्रवार आधी रात से कर्फ्यू घोषित कर दिया और देशभर में सेना की तैनाती की। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने रविवार और सोमवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया और केवल आपातकालीन सेवाओं के संचालन की अनुमति दी गई। इससे पहले बुधवार से सभी तरह के शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे।
उल्लेखनीय है कि सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ छात्रों के गुस्से के बाद देशभर में अशांति फैल गई। पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 फीसदी आरक्षण को लेकर यह विरोध हो रहा है। हसीना सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन पिछले महीने एक अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील के बाद इस फैसले को निलंबित कर दिया और 7 अगस्त को होने वाली सुनवाई को आगे बढ़ाने पर सहमति जताते हुए रविवार को मामले की सुनवाई करेगा।
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