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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक खाद्य अधिशेष देश है। हम वैश्विक खाद्य सुरक्षा के समाधान पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम किसानों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से सुधारों और उपायों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूत कर रहे हैं।
नई दिल्ली में अन्तरराष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री परिषद् के 32 वें अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 65 वर्षों के बाद भारत में कृषि अर्थशास्त्रियों के सम्मेलन की मेजबानी करने को एक महान अवसर बताया। उन्होंने कहा कि पिछली बार जब कृषि अर्थशास्त्रियों का सम्मेलन यहां हुआ था, तब भारत को नई नई आजादी मिली थी। वह भारत की खाद्य सुरक्षा को लेकर भारत की कृषि को लेकर चुनौतियों से भरा समय था। आज भारत खाद्य अधिशेष देश है। आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। एक समय था जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया की चिंता का विषय था, और एक आज का समय है, जब भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा, वैश्विक पोषण सुरक्षा के समाधान देने में जुटा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि हमारी आर्थिक नीति का केंद्र है। हमारे यहां करीब 90% परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन है, ये छोटे किसान ही भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं। यही स्थिति एशिया के कई देशों में है, इसलिए भारत का मॉडल कई देशों में काम आ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत, मोटे अनाज (मिलेट) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। जिसे दुनिया ‘सुपरफूड’ कहती है और उसे हमने श्रीअन्न की पहचान दी है। ये न्यूनतम जल, अधिकतम उत्पादन के सिद्धांत पर चलते हैं।
भारत के अलग-अलग सुपर फ़ूड ग्लोबल न्यूट्रिशन की समस्या को समाप्त करने में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। भारत अपने सुपर फ़ूड की इस बास्केट को दुनिया के साथ साझा करना चाहता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन कृषि और खाद्य पदार्थ को लेकर हमारी मान्यताएं हैं, हमारे अनुभव हैं। भारतीय कृषि परंपरा में साइंस को, लॉजिक को प्राथमिकता दी गई है। हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है। ये पारंपरिक नॉलेज सिस्टम भारत के समाज जीवन का हिस्सा है।
इससे पहले केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समारोह में आए हुए देश-विदेश के प्रतिनिधियों का स्वागत किया और प्रास्ताविक भाषण दिया।
MadhyaBharat
3 August 2024
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