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SC/अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे के उप-वर्गीकरण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासी हलचल तेज हो रखी है. इसी बीच बीजेपी के SC/ST सांसद आज PM मोदी से मिले.
अनुसूचित जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे के उप-वर्गीकरण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासी हलचल तेज हो रखी है. इसी बीच एसटी/एससी समुदायों से संबंधित लोकसभा और राज्यसभा के भाजपा सांसदों ने आज संसद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.
सांसदों ने संयुक्त रूप से एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर एक ज्ञापन सौंपा और मांग की कि इस फैसले को हमारे समाज में लागू नहीं किया जाना चाहिए. पीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मामले पर गौर करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और रामदास अठावले ने भी विरोध जताया था. चिराग पासवान ने कहा था, 'उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी.'
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को अपने फैसले में कहा था, 'राज्यों के पास अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं.' इस दौरान SC ने साफ किया था, राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के 'मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों' के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि 'मर्जी' और 'राजनीतिक लाभ' के आधार पर.'
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था, 'SC/ST के लिए आरक्षित सीट से एक बार कोई विधायक सांसद बन गया वो क्रीमिलेयर हो जाएगा और दोबारा उस सीट से नही लड़ पायेगा. संसद और विधानसभा में भी वंचित समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा.
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