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पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में शुक्रवार (9 अगस्त) सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर रहस्यमय हालात में एक महिला डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के बाद हत्या की बाद आमने आई थी. इस मामले को लेकर अब पुलिस ने एक और बड़ा खुलासा किया है.
इसी बीच कोलकाता पुलिस का दावा है कि शायद हत्या करने के बाद डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया है. पूरी संभावना है कि सबसे पहले उसकी हत्या सोते समय की गई है. पुलिस ने कहा है कि ऐसा हो सकता है कि पहले गला दबाकर हत्या की गई हो और फिर यौन उत्पीड़न किया गया हो. घटनास्थल से मिले सबूत इसी तरफ से इशारा कर रहे हैं.
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, 'आज हम भारी मन से आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुई दुखद घटनाओं की गहरी निंदा दोहराते हैं. दूसरे वर्ष के रेजिडेंट डॉक्टर की मौत के आसपास की भयावह परिस्थितियां, रेजिडेंट डॉक्टर समुदाय के इतिहास में शायद सबसे बड़ी विडंबना है. यह न केवल हमारे पेशे का बल्कि मानवता के मूल तत्व का भी अपमान है.'
उन्होंने आगे कहा, 'कल अपने पिछले संचार में, हमने अपना आक्रोश व्यक्त किया हम देश भर के सभी रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) और मेडिकल एसोसिएशन से अनुरोध करते हैं कि वे अन्याय के खिलाफ इस लड़ाई में हमारे साथ शामिल हों. आर.जी. कर के साथियों के साथ अपनी एकजुटता के प्रतीक के रूप में, हम सोमवार, 12 अगस्त से अस्पतालों में वैकल्पिक सेवाओं को राष्ट्रव्यापी रूप से बंद करने की घोषणा करते हैं. यह निर्णय हल्के में नहीं लिया गया है. लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हमारी आवाज सुनी जाए और न्याय और सुरक्षा की मांगों को बिना किसी देरी के पूरा किया जाए.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना पर तृणमूल कांग्रेस महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, "यह घटना बेहद जघन्य है, राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से ली रही है और 24 घंटे के अंदर एक अभियुक्त को गिरफ़्तार किया गया है. बलात्कारी की कोई पहचान नहीं होती चाहे वह पुलिसवाला हो, मजदूर हो, या कुछ और. आरोपी एक खूनी है. मैंने देखा कि कई राजनीतिक दल झंडे लेकर सड़कों पर उतरे थे. हमें इसके बजाय अध्यादेश या विधेयक लाना चाहिए ताकि 7 दिनों में त्वरित न्याय मिल सके. विरोध कर रहे भाजपा नेताओं को बलात्कारियों को 7 दिन में सजा दिलाने वाला विधेयक लाना चाहिए और विपक्ष के तौर पर टीएमसी और कांग्रेस का काम विधेयक का समर्थन करना है. मुकदमे में 5-6 साल क्यों लगेंगे? एक मां और पिता ने अपनी बेटी खो दी. इसकी कीमत वही जान सकते हैं. राजनीतिक दलों, मीडिया न्यायपालिका की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे सामूहिक रूप से परिवार को न्याय दिलाएं."
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