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नई दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित करने के मद्देनजर, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सतर्क हो गया है। शनिवार को मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। फिलहाल भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।
मंत्रालय के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ग्राउंड क्रॉसिंग पर स्वास्थ्य इकाइयों पर अत्यधिक सावधानी बरती जानी चाहिए। इन स्थानों को अधिक संवेदनशील बनाने के साथ परीक्षण प्रयोगशालाओं(लैब) को तैयार, करना , किसी भी मामले का पता लगाने, अलग करने और उसका प्रबंधन करने आदि के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार करने पर जोर देना चाहिए।
वहीं स्थिति की समीक्षा के लिए शुक्रवार को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई। बैठक में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), केंद्र सरकार के अस्पताल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के विशेषज्ञों ने भाग लिया। आने वाले हफ्तों में कुछ आयातित मामलों का पता चलने की संभावना को देखते हुए तैयारी पूरी होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह के बीच स्व-सीमित होता है और रोगी आमतौर पर सहायक प्रबंधन के साथ ठीक हो जाते हैं। संचरण के लिए संक्रमित मामले के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है और यह आम तौर पर यौन मार्ग, शरीर, घाव के तरल पदार्थ, या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों, लिनन के सीधे संपर्क के माध्यम से होता है।
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