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बिलासपुर । बिलासपुर के सेंट्रल किचन में स्कूली बच्चों को दी जाने वाली मध्याह्न भोजन घटिया क्वालिटी का है, जिसके चलते बच्चों ने मध्याह्न भोजन लेना बंद कर दिया है। इस मामले को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की थी, जिस पर राज्य शासन के साथ ही कलेक्टर से जवाब मांगा था ।इसे लेकर आज उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने शासन का पक्ष का और जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर के शपथ पत्र को पेश किए जाने की जानकारी दी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने में इस मामले में भविष्य में इस तरह की घटना सामने नहीं आने की हिदायत पर शासन को निर्देश दिए हैं और याचिका खारिज दी गई है।
उल्लेखनीय है कि शहरी इलाके के करीब 120 शासकीय और मान्यता प्राप्त प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को मध्याह्न भोजन आपूर्ति करने की जिम्मेदारी सेंट्रल किचन को सौंपी गई है। इसका ठेका नगर निगम को दिया गया है।जबकि एम डी एम की राशि का भुगतान बीईओ बिल्हा द्वारा किया जाता है।कुछ दिनों पहले मीडिया में इस आशय की खबरें आई कि पिछले कुछ समय से सेंट्रल किचन में घटिया भोजन बनाकर बच्चों को परोसा जाने लगा। जिसे बच्चों ने खाना बंद कर दिया। शिक्षा विभाग के अफसरों ने जब से ध्यान देना बंद किया है, तब से भोजन का स्तर गिर गया है। घटिया क्वालिटी का भोजन खाने से बच्चे भी इनकार कर रहे हैं। इसलिए स्कूल के रसोइया मवेशियों को खिला रहे हैं।
इस खबर को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की। बुधवार को हाईकोर्ट ने मामले में राज्य शासन और कलेक्टर को जवाब देने के लिए कहा था। वहीं, बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था। जिस पर उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने शासन का पक्ष का और जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर के शपथ पत्र को पेश किए जाने की जानकारी दी। वही कोर्ट में इस मामले में भविष्य में इस तरह की घटना सामने नहीं आने की हिदायत पर शासन को निर्देश भी दिए हैं और याचिका खारिज दी गई है।
MadhyaBharat
27 November 2024
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