मेकाॅज प्रबंधन के अनुसार कुआकोंडा की डेढ़ वर्ष की आरुषि, नकुलनार की अनिता ( 4 वर्ष) और बीजापुर की मल्लिका अनमोल ( 2 वर्ष) की मौत हुई है। इनमें एक बच्ची को निमोनिया की शिकायत थी, जबकि दाे जापानी बुखार और मलेरिया से ग्रसित थी। जब इन तीनों की स्थिति काफी गंभीर हुई तो इन्हें दंतेवाड़ा एवं बीजापुर जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था। मेकाॅज प्रबंधन के अनुसार इनमें से दो बच्चों को जापानी इंसेफ्लाइटिस की शिकायत थी। इनकी तबीयत बेहद अधिक बिगड़ जाने के बाद इन्हें दंतेवाड़ा और बीजापुर के जिला अस्पतालों से मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। यहां इन्हे उचित उपचार देने के लिए हर संभव प्रयास किया गया। बच्चों को वेंटिलेटर में रखकर इलाज किया जा रहा था, लेकिन ज्यादा तबीयत बिगड़ने की वजह से इन्हें बचाया नहीं जा सका और दाे दिसंबर काे उनकी मौत हो गई।
मेडिकल कॉलेज के सह प्रभारी अधीक्षक डॉ. एस ध्रुव ने आज मंगलवार काे बताया कि मेकाॅज में बेहद गंभीर स्थिति में इन तीनों बच्चों को लाया गया था। सभी को वेंटिलेटर सपोर्ट में रखा गया था। इनकी जिंदगी बचाने का हर संभव प्रयास किया गया, लेकिन जान नहीं बच सकी। इनमें दो जापानी बुखार तो एक निमोनिया से पीड़ित था।
उल्लेखनीय है कि बस्तर में मलेरिया और जापानी बुखार से मौत के मामले पहले भी आ चुके हैं। हाल ही के कुछ दिन पहले बीजापुर में आश्रम में पढ़ने वाले 2 बच्चों की मौत हुई थी। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आश्रम में मेडिकल कैंप लगाया था।
जापानी बुखार से बचने के उपाय
नवजात बच्चे का समय से टीकाकरण कराएं, आस-पास साफ-सफाई रखें, गंदे पानी को जमा न होने दें, साथ ही पानी उबाल कर पिएं, बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खाना दें, हल्का बुखार हाेने पर तत्काल डाॅक्टर काे दिखयें। इन दिनाें बस्तर में मौसम लगातार बदल रहा है, जिसके चलते मौसमी बीमारियों के मामले बढ़ गये हैं। बदलते मौसम की वजह से बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने निमोनिया और जापानी बुखार समेत मलेरिया से बचने के निर्देश भी जारी किए हैं।
मलेरिया के 9 बड़े लक्षण
बदन दर्द, पसीना आना, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, कमजोरी लगना, कंपकंपी छूटना, तेज बुखार, बेचैनी, उल्टी होना है। मलेरिया से बचाव के तरीके-कूलर और टैंक जैसी चीजों में पानी न भरने दें, घर में जहां भी पानी भरता दिखे, उस जगह को मिट्टी से भर दें। उस पानी में मिट्टी का तेल भी डाल सकते हैं। इससे मच्छर नहीं पनपेंगे अपने शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें, तेज बुखार और कपकपी छूटने पर डॉक्टर से संपर्क करें, हमेशा मच्छरदानी के अंदर सोएं, घर के आस-पास कीटनाशकों का छिड़काव करें।