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नैतिकता न केवल मीडिया बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी: मंत्री विश्वास सारंग
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भोपाल । नैतिकता की आवश्यकता न केवल मीडिया को है बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेवारी है। नैतिकता एवं जवाबदेही की बातें केवल मीडिया तक सीमित न रहे, बल्कि हर व्यक्ति तक जानी चाहिए। देश में हर चीज के निर्माण की बात होती है लेकिन शायद व्यक्ति के निर्माण की बातें उतनी नहीं हो पाई। यदि व्यक्ति का निर्माण होगा तो परिवार का होगा। परिवार से समाज, समाज से देश का निर्माण होता है। यदि यह कार्य मीडिया के माध्यम से हो तो समाज मे एक अच्छा संदेश जाता है। लोगों को उससे प्रेरणा मिलती है।


यह विचार खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने रविवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ब्लेसिंग हाउस भोपाल एवं मीडिया प्रभाग (राजयोग शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान ) द्वारा ‘आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज’ थीम के अंतर्गत ‘मीडिया की नैतिकता, जवाबदेही और स्व-मूल्यांकन’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम छोटे छोटे कार्यों से शुरुआत करें तो बड़े कार्य सम्पन्न होंगे। मैं अकेला क्या कर सकता हूँ, मेरे अकेले के करने से क्या होगा, यह विचारधारा बदलनी होगी। हमारा जीवन ऐसा हो कि हम रहे न रहे, लोग हमें याद करें। अपने लिए जिये तो क्या जिये, जो औरों के लिए जिए वही जीवन है।


उन्होंने रतन टाटा के जीवन का उदाहरण देते हुए बताया कि उनके जाने के बाद उनके नेक कार्यों के लिए लोग उन्हे याद कर रहे हैं। मीडिया कर्मियों की यही जिम्मेदारी है कि मेरी लेखनी से ऐसा कोई कार्य न हो जो नैतिकता के खिलाफ हो।


कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज ब्लेसिंग हाउस की निदेशिका एवं मीडिया प्रभाग की क्षेत्रीय संयोजिका बी के डॉ रीना ने कहा कि आज समाज में जो चौतरफा नैतिक मूल्यों की गिरावट हुई है उसकी रोकथाम के लिए पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं अध्यात्मिक मूल्यों की पुनरस्थापना तथा जन जागृति की आवशयकता है। साथ ही समाज के हर वर्ग को अपनी जवाबदेही समझनी होगी। समाज का एक प्रमुख वर्ग होने के नाते मीडिया इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। मीडिया में नैतिकता होगी तभी वही सही जवाबदेही कर सकता है और स्व-मूल्यांकन भी तभी हो सकता है। इसके लिए स्वयमूल्यांकन द्वारा परिवर्तन की भी आवश्यकता है।


माउंट आबू से पधारे मीडिया प्रभाग ब्रह्माकुमारीज के राष्ट्रीय संयोजक बीके शान्तनु भाई ने कहा कि आज धरम अलग अलग होने के कारण धर्म के नाम पर नफरत एवं हिंसा बढ़ रही है। ब्रह्माकुमारीज धर्म से परे सबको साथ लेकर चलने की शिक्षा देती है। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है लेकिन स्तम्भ तभी मजबूत होगा जब उसका आधार मजबूत होगा। मीडिया को समाज का आईना कहा जाता है लेकिन इस आईने को साफ रखने की आवश्यकता है। धुंधला आईना बनने की आवश्यकता है। दूसरे का सम्मान करने से हमें स्वतः सम्मान मिलता है। यदि हम बहते पानी की तरह भलाई करते रहेंगे तो गंदगी स्वतः किनारे लग जाएगी।


सप्रे संग्रहालय भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर ने कहा कि पत्रकारिता की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हम बनाने बिगाड़ने के चक्कर में लगे रहते हैं। कई बार मीडिया कर्मी बहुत से अनुत्पादक बातों में अपना समय एवं शक्ति गवांते रहते हैं।


कुषाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. मानसिंघ परमार ने कहा कि यहाँ नकारात्मक बातें न करके सकारात्मक बातें की जाएँ तो अच्छा है। मीडिया अपने भूमिका बड़ी अच्छी तरह से निभा रहा है, संविधान में जो प्रावधान दिए गए हैं उनका पालन किया जाना चाहिए। कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को न केवल मोटिवेट किया बल्कि अर्जुन को युद्ध लड़ने के लिए तैयार किया। यह अंतरवैयक्तित संचार का सुंदर उदाहरण है।


माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान के प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि पत्रकारिता का मूल काम है लोकमंगल करना। मीडिया की नैतिकता एवं जवाबदेही है कि जिन कार्यों के द्वारा लोकमंगल अर्थात जनकल्याण की भावना समाई हुई हो वो होना चाहिए। कार्यक्रम में बीके रावेन्द्र भाई ने सम्मेलन का उद्देश्य बताया एवं सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन बी के राहुल भाई ने किया। कुमारी श्री, कुमारी राधा, कुमारी आराधना ने सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया।
MadhyaBharat 8 December 2024

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