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जाेधपुर । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के सुरक्षा परिदृश्य में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है और इसमें हमारे सीमा सुरक्षा बल के जवानों का योगदान स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा। छह दशकों से साहस, शौर्य और बलिदान के बल पर ही सीमा सुरक्षा बल ने देश की 'फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस' को मज़बूत करने का काम किया है। बीएसएफ ने सीमा पर आने वाली सभी चुनौतियों का मुकाबला कर देश की सुरक्षा की प्रथम पंक्ति को सशक्त किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह रविवार काे जोधपुर में सीमा सुरक्षा बल के 60वें स्थापना दिवस समारोह काे संबाेधित कर रहे थे। शाह परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। गृह मंत्री ने कहा कि आठ दिसंबर 1965 से लेकर आज तक निरंतर देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमा को सुरक्षित रखने का बीएसएफ का रिकॉर्ड शानदार रहा है। बीएसएफ के 1992 जवानों ने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है, जिसके लिए देश की जनता सदैव उनकी ऋणी रहेगी। छह दशकों से सीमा सुरक्षा बल ने हमारी सुरक्षा को चाक-चौबंद रखा है। देश की बढ़ती सुरक्षा ज़रूरतों को बीएसएफ के बिना पूरा करना असंभव है इसीलिए 25 बटालियन से शुरू हुआ ये बल आज 193 बटालियन तक पहुंच गया है।
शाह ने कहा कि दाे लाख 70 हज़ार जवानों की संख्या वाला ये विश्व का सबसे बड़ा सीमारक्षक बल है। बीएसएफ ने 2024 में भी जाली मुद्रा, नारकोटिक्स, घुसपैठ और वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ने का अपना रिकॉर्ड अनेक अभियानों के माध्यम से बरकरार रखा है। देश की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में 1992 सीमा प्रहरियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है और अब तक उनमें से 1330 जवानों को पदक दिए गए हैं। इनमें एक महावीर चक्र, छह कीर्ति चक्र, 13 वीर चक्र, 13 शौर्य चक्र, 56 सेना मैडल और 1241 पुलिस पदक शामिल हैं।
अमित शाह ने कहा कि कई साल तक सीमा सुरक्षा की हमारी नीति धुंधली सी थी। उन्होंने कहा कि अटलजी के कार्यकाल में सीमा प्रबंधन पर इंटीग्रेटेड अप्रोच के साथ एक सीमा एक बल की नीति को नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद और ज़्यादा स्पष्ट किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में सीमावर्ती क्षेत्रों में मज़बूत इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, गांवों में कल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन और सीमा पर स्थित देश के प्रथम गांवों में रेल, रोड़, वाटर-वे और तकनीक की दृष्टि से अच्छी कनेक्टिविटी स्थापित करने का काम किया गया है। शाह ने कहा कि लैंड पोर्ट के माध्यम से कानूनी व्यापार और लोगों के बीच संपर्क को भी आगे बढ़ाया है। बांग्लादेश के साथ लगती 591 किलोमीटर सीमा पर बाड़ लगाने का काम किया गया है। 1159 किलोमीटर सीमा पर फ्लड लाइट लगाई गई हैं, 573 बॉर्डर आउटपोस्ट और 579 ऑब्जरवेशन पोस्ट बनाए गए हैं। इसके अलावा 685 स्थानों पर बिजली कनेक्शन, 575 पानी के कनेक्शन और 570 जगह पर सोलर प्लांट बनाकर बिजली की व्यवस्था की गई है। लगभग 1812 किलोमीटर के दुर्गम क्षेत्र में सीमा सड़क निर्माण और इनके माध्यम से गांवों के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि 4800 करोड़ रुपये के बड़े बजट के साथ प्रायोगिक स्तर पर शुरू किया गया वाय़ब्रेंट विलेज प्रोग्राम है। इसके तहत देश की उत्तरी सीमा पर कई गांवों को वायब्रेंट विलेज बनाया गया है, विशेषकर उन गांवों में जहां पर पलायन की समस्या थी। ऐसे गांवों में हर प्रकार की कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सुविधाएं और वहां के नागरिकों को सम्मान, रोजगार और बेसिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई प्रकार के काम किए गए हैं। शाह ने कहा कि लगभग 3000 गांवों में प्रायोगिक स्तर पर वायब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसे बाद में देश की सीमा के हर गांव तक पहुंचाया जाएगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल द्वारा ओखा में देश की पहली नेशनल कोस्टल पुलिस अकादमी की स्थापना की गई है। इसके साथ ही मोदी सरकार संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली लाई है। सीमा सुरक्षा बल में कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में धुबरी में स्थापित किया गया है। इसमें कुछ सुधार कर पाकिस्तान और बांग्लादेश की पूरी सीमा पर लागू किया जाएगा।
शाह ने कहा कि बॉर्डर फेंस को सुदृढ़ करने और भारत की ओर सीमा पर सड़कों के निर्माण के साथ-साथ कई और इंफ्रास्ट्रक्चर के काम किए गए हैं। ड्रोन समस्या का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में यह और बड़ी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसका आंकलन कर हाेल ऑफ गवर्नमेंट एप्राेच के साथ देश की सभी सीमाओं की सुरक्षा कर रहे सभी सीमा सुरक्षा बलों, रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ और भारत सरकार के अनुसंधान में लगे सभी विभागों ने मिलकर एक लेजरयुक्त एंटी ड्रोन गन माउंट प्रणाली बनाई है। पंजाब के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 55 फीसदी ड्रोन हमलों को निरस्त कर ड्रोन को गिराया गया है, जो पहले तीन प्रतिशत के आसपास था। गृह मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि कुछ ही वर्षों में एक संपूर्ण ड्रोन निरोधी यूनिट बनाई जाएगी जो ड्रोन के कारण आने वाले खतरों से देश को सुरक्षित करेगी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे जवान अपने जीवन का स्वर्णिम काल अपने परिवार, बच्चों से दूर रहकर बहुत कठिन परिस्थितियों में बिताते हैं। उन्होंने कहा कि जवानों के इस बलिदान, समर्पण और देशभक्ति की पूरा देश सराहना भी करता है इनके प्रति सम्मान भी व्यक्त करता है। हर प्रकार के मौसम और परिस्थितियों में हमारे बलों के जवानों ने बहुत अच्छे तरीके से अपनी ड्यूटी निभाई है। ये जवान देश की पहली रक्षा पंक्ति के रूप में खड़े होकर देश की सुरक्षा करते हैं और प्राकृतिक आपदा, आतंकवादी हमलों या फिर वामपंथी उग्रवाद, सबके खिलाफ मज़बूती से लड़कर नागरिकों की सुरक्षा करते हैं। हमारे जवानों का हर कदम, संघर्ष और जीत पूरे देश को अहसास दिलाते हैं कि भारत अजेय है और इसे कोई पराजित नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों के मन में अजेय होने के इस विश्वास का पूरा श्रेय सीमा पर खड़े हमारे जवानों को जाता है। गृह मंत्री ने कहा कि इन जवानों के समर्पण और बहादुरी के बिना प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक एक पूर्ण विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव है और सिर्फ हमारे जवानों की वीरता, समर्पण, त्याग और बलिदान ही इसे संभव बना सकते हैं।
शाह ने कहा कि देश के सुरक्षाबलों के जवानों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने कई काम किए हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान सीएपीएफ के माध्यम से 41 लाख 21 हजार 443 जवानों और उनके परिजनों को आयुष्मान कार्ड दिए गए हैं। देश के हज़ारों अस्पतालों को इस कार्ड के साथ जोड़कर जवानों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य की चिंता करने का काम मोदी ने किया है। अब तक कुल 1600 करोड़ रुपये के 14.83 लाख दावों का भुगतान किया जा चुका है। इसके साथ ही 29890 अस्पतालों में जवानों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य की चिंता कैशलेस तरीके से की गई है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हाउसिंग सेटिस्फेक्शन रेश्यो बढ़ाने के लिए पिछले पांच साल में 13000 घरों को मंज़ूरी दी गई है और गत पांच साल में मंज़ूर किए गए 11000 घरों को बनाने का काम पूरा कर दिया गया है। इसके साथ-साथ, 111 बैरक बनाए गए हैं और सीएपीएफ ई-आवास वेब पोर्टल के माध्यम से खाली पड़े घरों को आवंटित करने का काम भी किया गया है।
MadhyaBharat
8 December 2024
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