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नई दिल्ली। वर्ष 1984 के दिल्ली सिख विरोधी दंगा पीड़ितों ने मंगलवार को यहां गुरुद्वारा बंगला साहिब के बाहर लोकसभा में नेता विपक्ष एवं सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव एवं सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व दंगा पीड़ितों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले सरदार गुरलाड सिंह काहलों ने किया।
इस अवसर पर गुरलाड सिंह काहलों ने कहा कि प्रियंका गांधी ने संसद में केंद्र सरकार को घेरने के लिए अपनी पहली स्पीच में उन्नाव, हाथरस और मणिपुर तथा संभल आदि पर बोलीं लेकिन 40 साल पहले 1984 के सिख विरोधी दंगों पर नहीं बोलीं। आखिर उस समय ऐसा कौन सा जघन्य अपराध नहीं हुआ। सड़कों पर जा रहे निर्दोष सिखों को जला दिया गया, दुकानें लूट ली गईं, महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।
काहलों ने कहा कि जिन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या की, उन्होंने भावनाओं में बहकर हत्या की थी। एक हत्यारे को मौके पर गोली मार दी गई थी। दूसरे ने स्वीकार किया था कि उसने भावनाओं में बहकर हत्या की थी। उन्होंने कहा कि इसी तरह भावनाओं में बहकर राजीव गांधी और शायद महात्मा गांधी की भी हत्या हुई थी। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जब भावनाओं में बहकर हत्या हुई तो इस मामले में सभी सिखों को क्यों लपेटा गया? सड़क चलते निर्देोष सिखों के गले में टायर डालकर जलाया गया। उनके शवों के पास उनकी लड़कियों के साथ बलात्कार हुए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में तिलक नगर में एक कालोनी है, जिसका नाम विधवा कालोनी है। यहां 1984 के दंगे में मारे गए सिखों की विधवाएं रहती हैं। क्या उन्हें (राहुल गांधी को) अपनी मोहब्बत की दुकान को लेकर विधवा कालोनी में जाकर माफी नहीं मागना चाहिए? इन्हीं मुद्दों को लेकर हम मार्च निकाल रहे हैं और प्रियंका गांधी के आवास जा रहे हैं। हालांकि, पुलिस प्रदर्शनकारियों को आगे जाने नहीं देगी लेकिन हमारे कुछ लोग जाने का प्रयास करेंगे। जो उन्हें इस तथ्य से अवगत कराएंगे।
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