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अजमेर । पूरी दुनिया में भाईचारे, इंसानियत और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए विख्यात राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें सालाना उर्स के मौके पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से चादर पेश की गई। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रधानमंत्री के हाथों सौंपी गई चादर ख्वाजा साहब के मजार पर पेश की।
इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और शहर जिलाध्यक्ष रमेश सोनी सहित अनेक भाजपा नेता उनके साथ मौजूद थे। दरगाह के बाहर किरेन रिजिजु का काफिला पहुंचते ही भाजपाइयों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इससे पूर्व यहां सर्किट हाऊस में भी अजमेर के भाजपा नेताओं ने केंद्रीय मंत्री का जोरदार स्वागत किया।
रिजिजू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से चादर चढ़ाना पूरे देश की ओर से चादर चढ़ाने जैसा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश में सद्भाव और भाईचारे का माहौल बना रहे। गरीब नवाज की दरगाह पर लाखों जायरीन आते हैं, जिनके लिए नई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। रिजिजू ने कहा कि दरगाह पर उर्स के दौरान आना हमारी परंपरा है। यह सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वे हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर भी चादर चढ़ा कर और दुआ मांग कर आए हैं। यहां सभी समुदायों के लोग आते हैं और दुआ मांगते हैं। यह हमारी संस्कृति की अनेकता में एकता को दर्शाता है।
इस माैके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश बुलंद दरवाजे से पढ़ा गया। इस दौरान तमाम अधिकारी, दरगाह कमेटी के पदाधिकारी, खादिम समुदाय के लोगों ने देश में अमन चैन और खुशहाली की दुआ मांगी।
वेब पोर्टल का उद्घाटन
मंत्री रिजिजू ने इस मौके पर अजमेर दरगाह पर गरीब नवाज ऐप और एक वेब पोर्टल का शुभारंभ भी किया। इस पोर्टल पर ख्वाजा साहब के जीवन परिचय के साथ दरगाह की सुविधाओं, गेस्टहाउस बुकिंग और सीधा प्रसारण की जानकारी दी गई है। अब जायरीन को दरगाह संबंधित जानकारी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
पहली तारीख से शुरू हुआ उर्स
ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स छह दिन तक चलता है। 813 वर्ष पूर्व रजब की पहली तारीख को ख्वाजा साहब इबादत के लिए कोठरी में चले गए और अपने मुरीदों को निर्देश दिए कि उन्हें इबादत के बीच आवाज नहीं दी जाए, जब छह दिन तक जब वे बाहर नहीं आए तो उनके मुरीदों ने कोठरी खोल कर देखा तो ख्वाजा साहब का इंतकाल हो चुका था। इस कारण ख्वाजा साहब का उर्स छह दिन तक मनाने की परंपरा है।
जायरीनों की होती है गहरी आस्था
ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति आस्था महज मुसलमानों की नहीं है, बल्कि सभी धर्म के लोग दरगाह शरीफ की चौखट चूमकर श्रद्धा और विश्वास के साथ शीश झुकाते हैं और मन की मुरादे भी पाते हैं। यूं तो ख्वाजा साहब की दरगाह में जायरीन के आने का सिलसिला वर्ष पर्यंत बना रहता है लेकिन उर्स का मौका कुछ खास होता है। यही कारण है कि प्रत्येक जायरीन की इच्छा उर्स के दौरान दरगाह के आस्थाने शरीफ पर माथा टेकने और मजार शरीफ पर अकीद्त के फूल पेश करने की रहती है।
विशेष सुरक्षा व्यवस्था
प्रधानमंत्री की चादर पेश करने के दौरान विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई। दरगाह में हजारों सिपाहियों व पुलिस अधिकारियों के अलावा स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स व गुप्तचर पुलिस सादावर्दी में तैनात रही। सीसीटीवी व ड्राेन से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी गई।
चादर का किया स्वागत
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह प्रमुख नसीरुद्दीन चिश्ती ने उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से पेश की जाने वाली चादर का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के लिए जवाब होगा, जिन्होंने पिछले दिनों से मंदिर-मस्जिद का विवाद पैदा एवं देश में माहौल खराब करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान की यह सभ्यता और संस्कृति है कि सभी धर्म, मजहब, सभी धर्म गुरुओं एवं धार्मिक स्थलों का सम्मान हो।
MadhyaBharat
4 January 2025
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