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रायगढ़ । विधायक रायगढ़ एवं वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि आम जनता की सुविधाओ के मद्देनजर विष्णुदेव साय सरकार एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत सुगम ऐप में रजिस्ट्री होने के साथ ही नामांतरण हो सकेगा। इस निर्णय के लागू होने के साथ आम जनता को सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी। आम जनता को समय की बचत के साथ साथ व्याप्त भ्रष्टाचार व्यवस्था से मुक्ति मिल सकेगी। वित्त मंत्री चौधरी ने गुरुवार काे जानकारी देते हुए बताया कि सुगम ऐप के माध्यम से रजिस्ट्री का कार्य लागू किया गया था, ताकि पूरा कार्य पारदर्शी तरीके से हो सके एवं फर्जी रजिस्ट्री के मामलों को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। सुगम ऐप के तहत रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी बनाई गई है।
आम जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ही बहुत से बदलाव किए गए है। जल्द ही रजिस्ट्री के साथ नामांतरण को लेकर सकारात्मक बदलाव लागू होंगे। प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होते ही नामांतरण होने से बेवजह चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी एवं दशकों से व्याप्त भ्रष्ट व्यव्स्था से भी मुक्ति मिलेगी। साय सरकार का सुशासन की दिशा में यह बड़ा कदम साबित होगा। जनता के लिए साय सरकार द्वारा दी जाने वाली बड़ी राहत होगी। प्रदेश भर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होते ही नामांतरण का प्रोसेस भी ऑनलाइन हो जायेगा। लोगों की परेशानी कम होने के साथ समय का अपव्यय रुकेगा। काम में पारदर्शिता आएगी। आम जनता को नामांतरण के लिए भटकने से मुक्ति मिलेगी। छत्तीसगढ़ राजस्व विभाग में अब तक यह बड़ा बदलाव साबित होगा।
सुगम एप में रजिस्ट्री की गई भूमि का विस्तार से रिकॉर्ड, दर्ज होते ही नामांतरण हेतु पटवारी एवं तहसीलदार का प्रोसेस शुरू हो जायेगा। रजिस्ट्री के बाद त्वरित नामांतरण की प्रक्रिया हेतु सुगम एप में ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है। प्रदेश भर में रोजना 8 हजार संपत्तियों की रजिस्ट्री हेतु खरीदार को अपने नाम पर दर्ज कराने के लिए 30 दिनों से 90 दिन तक इंतजार करना पड़ता है। साथ में तहसील और पटवारी कार्यालय में चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। इन सभी परेशानियों के मद्देनजर राजस्व विभाग तत्काल नामांतरण की सुविधा हेतु बड़ा बदलाव करेगा। सुगम ऐप में रजिस्ट्री होने के बाद पूरी पादर्शिता के साथ नामांतरण का प्रोसेस शुरू होगा।
नामांतरण के लिए तहसीलों के चक्कर नहीं लगाने होंगे
भुइंया रिकॉर्ड को सुगम ऐप से जोड़ा जा चुका है जो रिकॉर्ड इसमें दर्ज होगा, उसके आधार पर ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया होगी। रजिस्ट्री के दौरान ही गड़बड़ी की सभी आशंकाओं को खत्म कर दिया जाएगा। ऐसे में जब राजस्व रिकॉर्ड सही होने पर ही रजिस्ट्री होगी और 24 घंटे मेंं नामांतरण भी हो जाएगा। अभी रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण कराने के लिए तहसील कार्यालय जाना पड़ता है और वहां आवेदन देना होता है। अब आवेदन रजिस्ट्री कराने के साथ ही पटवारी और तहसीलदार के लॉगिन आईडी में फारवर्ड हो जाता है।
संबंधित तहसीलदार के पास रजिस्ट्रीकर्ता का आवेदन डिस्प्ले होने लगता है। क्रेता-विक्रेता की पेशी और विज्ञापन के बाद नामांतरण की भी प्रक्रिया होती है। नामांतरण के लिए तहसीलों के चक्कर नहीं लगाना होंगे।
MadhyaBharat
9 January 2025
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