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ग्रीष्म ऋृतु की आहट: तैयारी में जुटे कुम्हार
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धमतरी । ग्रीष्म ऋृतु की शुरुआत होते ही मटकियों की मांग शुरू हो जाती है। इसकी तैयारी में शहर के कुम्हार महीनेभर से जुट हुए हैं। कुम्हारपारा के 20 से भी अधिक परिवार इन दिनों मटके, सुराही, कलशे व अन्य पात्र बनाने में व्यस्त हैं। यहां बनाए हुए सामान शहर सहित अन्य स्थानों तक बिकने के लिए पहुंचता है।

कुम्हार समुदाय इन दिनों मिट्टी के घड़ा, सुराही, सकोरा, मिनी मटका सहित अन्य पात्र बनाने में व्यस्त हैं। गर्मी का मौसम मात्र एक माह ही शेष रह गया है। इसे ध्यान में रख कुम्हार इसकी तैयारी में जुट गए हैं। कुम्हारों द्वारा मिट्टी के घड़ा, सुराही, सकोरा, मिनी मटका सहित अन्य पात्र बनाए जा रहे हैं। इसकी मांग अभी भी बनी हुई है। कुम्हार पारा के जीवन कुंभकार, प्रहलाद कुंभकार, शंकर कुंभकार, प्रमिला बाई ने बताया कि मिट्टी का पात्र बनाना उनकी पुश्तैनी कला है। इसे वे आज भी थामकर रखे हुए हैं। जो लोग मिट्टी के पात्र के महत्व को समझते हैं वे उसे अवश्य खरीदते है। इसलिए वे गर्मी के पूर्व हर साल मिट्टी के घड़ा, सुराही, सकोरा, सहित अन्य पात्र बनाते है। साथ ही गर्मी के मई एवं जून माह में ढेरों शादियां होती हैं। इसमें मिट्टी के छोटे कलशा का उपयोग किया जाता है। इसलिए वे छोटे कलश भी तैयार कर उसे पका रहे है।
 
उन्होंने बताया कि घड़ा, सुराही, सहित अन्य पात्र बनाने में उपयोगी सामग्री मिट्टी, रंग, लकड़ी के दाम बढ़ गए हैं। इसलिए मिट्टी के पात्र में मंहगाई की मार का हल्का असर दिखेगा। मालूम हो धमतरी के कुम्हारपारा के अलावा आमदी, पोटियाडीह सहित अन्य स्थानों में कुम्हार निवासरत हैं। ये कुम्हार सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी पुश्तैनी कला को सहेजे हुए हैं। गर्मी के अलावा सालभर के विविध त्योहार में मिट्टी से तैयार कई तरह के पात्र का उपयोग होता है। धनेश्वरी बाई, कुंती बाई, महेन्द्र कुमार, जीवनलाल आदि का कहना है कि मिट्टी से कई तरह के पात्र बनाना उनका पुश्तैनी कार्य है। लेकिन इस बार मटका, सुराही सहित अन्य पात्र बनाने में उपयोगी मिट्टी, लकड़ी, सहित अन्य सामाग्रियों में महंगाई की मार होने से लागत बढ़ गई है। इसलिए इसके दाम थोड़े बढ़ गए हैं। कुछ लोग लागत से भी कम दाम में मटका एवं सुराही की मांग करते है। इससे कभी-कभी उन्हें लागत निकाल पाना मुश्किल होता है।

 

 

MadhyaBharat 23 February 2025

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