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जबलपुर । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला आरक्षण के गलत तरीके से लागू होने पर मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल, जीडीए और एमपीपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जिसके बाद पुरुष अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अधिवक्ता जसवीन सिंह गुजराल और एडवोकेट रंजीता यादव की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है।
अधिवक्ता जसवीन सिंह ने कोर्ट को बताया कि एम्पलाई सिलेक्शन बोर्ड और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर द्वारा जो भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाला जा रहा है, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। इन विज्ञापनों में महिला आरक्षण को होरिजेंटल देने की जगह वर्टिकल दिया जा रहा है। इस मामले में उन्होंने कोर्ट को दो विज्ञापन प्रेषक करते हुए यह बताया कि विज्ञापन प्रकाशित करने का सही और गलत तरीका क्या है। इसमें जहां एक विज्ञापन में एसटी, एससी, ओबीसी जैसे आरक्षित वर्गों में कैटेगरी के आधार पर 33% आरक्षण दिया गया था, तो वहीं दूसरे गलत विज्ञापन पर कल भर्तियों पर 33% महिला आरक्षण दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि गलत ढंग से आरक्षण दिए जाने के कारण पुरुष अभ्यर्थियों को इससे नुकसान हो रहा है।
एमपीपीएससी के जरिए होने वाली भर्तियों के विज्ञापन में एम्पलाई सिलेक्शन बोर्ड और मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के द्वारा गलत ढंग से महिला आरक्षण देने के मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद मप्र कर्मचारी चयन मंडल, जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्मेंट और एमपीपीएससी को हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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