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रुद्राक्ष महोत्सव में उमड़ा आस्था का सैलाब
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सीहोर । मध्य प्रदेश के जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वधाम पर जारी सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव के चौथे दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कुबेरेश्वर धाम पहुंचकर भव्य शिव महापुराण कथा का श्रवण किया। दोपहर एक बजे से चार बजे तक पंडाल में ऐसा माहौल था कि हर कोई सबकुछ भूलकर बस कथा में रमा नजर आया। इस शिवजी के भजनों पर श्रद्धालु झूमते दिखे। ओ भोला सब दुख काटो म्हारा...शिव शंकर जपूं तेरी माला... भोला सब दुख काटो म्हारा भजन पर हर कोई शिव की स्तुति में खोता नजर आया। लुटा दिया भंडार काशी वाले ने...कर दिया मालामाल काशी वाले ने...भजन पर हर-हर महादेव के जयकारे सुनाई देने लगे।


12 ज्योर्तिलिंग के मध्य में बने 75 एकड़ के भव्य कुबेरेश्वधाम में चार दिन से चल रही शिव महापुराण कथा में भक्ति का समुंद्र लहरा रहा है। कितने ही ऐसे परिवार रोज पहुंच रहे हैं, जिनके शिव की भक्ति करने बाद जीवन में बड़े बदलाव आए हैं। वे चिट्ठी के जरिए अपने दुखों को हरे जाने की कहानी बताते हैं। कैसे एक लोटा जल शिवजी को चढ़ाया और उनकी दुनिया ही बदल गई। ऐसे श्रद्धालुओं को पं. प्रदीप मिश्रा मंच पर बुलाकर उनको बेल पत्र भी देते हैं।


शिव महापुराण कथा सुनाते हुए कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सच्चा इंसान वही है जो किसी और के दर्द और तकलीफ को समझे, तस्वीर और तकलीफ में अंतर है। तस्वीर में साथ खड़े होने वाले तकलीफ में साथ नहीं खड़े होते है। दर्द, विपत्ति और तकलीफ में तो भगवान शिव ही आपके साथ खड़ा होगा। शिव का द्वार ही ऐसा ही जहां आपकी तकलीफ का समाधान होगा। इसलिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उन्नति, प्रगति और कुबेर का आर्शीवाद लेने वाले ही कुबेरेश्वरधाम पर आते है।


शुक्रवार को मुंबई से आए उमेश कुमार शाह ने बताया कि वह अपनी पीड़ा लेकर ट्रेन से आई थी और बाबा ने उनकी पीड़ा का हरण किया है, अब में रुद्राक्ष महोत्सव में शामिल होने के लिए फ्लाइट से आई हूं। पंडित प्रदीप मिश्रा ने उनका पत्र पढ़कर सुनाते हुए कहा कि मुंबई से आए परिवार की राशि बैंक में अटक गई थी, सीए ने बताया कि अटकी हुई राशि का करीब 20 प्रतिशत कटकर मिलेगा। अपने दुख को लेकर वह बाबा के धाम पर आई और मात्र कुछ दिनों में परेशानी दूर हो गई। वहीं एक पत्र में एक श्रद्धालु रेखा सौलंकी उत्तरप्रदेश के बुलंद शहर से आए है उनके पुत्र को किडनी थी, लेकिन एक लोटा जल शिव को समर्पित करने के बाद उनका बच्चा स्वास्थ्य लाभ ले रहा है। अनेक ऐसे भक्त है जिन्होंने भरोसे से शिव की भक्ति की और उनकी तकलीफ का निदान हुआ है।


आस्था का केन्द्र है कुबेरेश्वरधाम
यहां पर आने वाले ऐसे भक्त है जो भगवान शिव की भक्ति के बाद अपने जीवन में सत्य मार्ग पर चलने लगे है। अनेक पत्र ऐसे आते है जिनको समिति के सेवादर लेते है जिसमें एक महिला ने बताया कि बेटी को 2015 में बुखार आया। उसकी आवाज चली गई। भारत के अनेक अस्पतालों और अन्य वेदों के अलावा सभी जगह दिखाया लेकिन आवाज नहीं आई। में थक गई दवाई खिलाते खिलाते। किसी के कहने पर मैंने आपकी कथा सुननी शुरू की। आपके बताए अनुसार किया। शंकर के मंदिर ले जाती। एक लोटा जल चढ़ाती। बेटी को सोमवार को व्रत कराती। मंदिर में झाडू-पोंछा लगाती। एक लोटा जल चढ़ाती, रुद्राक्ष का पानी पिलाती। जो कहीं नहीं हुआ वो 2025 में बाबा ने मेरी सुन ली। आज मेरी बेटी की आवाज अच्छे से आ गई है। मेरे बाबा की कृपा से मेरी बेटी की आवाज आ गई। इस तरह के अनेक श्रद्धालु आस्था के केन्द्र कुबेरेश्वरधाम पर आ रहे है। यहां पर अनेक श्रद्धालु कथा सुनने के स्थान पर सेवा के रूप में भोजन प्रसादी का वितरण करने के साथ झाडू, झूठे बर्तन धोने में आस्था और उत्साह के साथ लगे हुए है।


इन श्रद्धालुओं को शिव पुराण कथा का मर्म और आज के हालात पर मार्गदर्शन देते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि व्यक्ति का पेट भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की होती है लेकिन पेटी भरने की जिम्मेदारी परमात्मा की नहीं होती है। भगवान ने पेट देकर भेजा है इसलिए उसे भरना उसकी जिम्मेदारी है। परिवार दिया है इसलिए उसका पालन पोषण करना भी उसकी जिम्मेदारी है। रिश्ते नाते दिए हैं तो उनका निर्वहन करना भी उसकी जिम्मेदारी है। भगवान ने पेटी नहीं दी थी तो उसे भरना भगवान की जिम्मेदारी नहीं है। व्यक्ति जब पेटी को भरने के चक्कर में लगता है तो वह पेट को भूल जाता है और पेटी को भरते-भरते शरीर व्यर्थ हो जाता है।


तीन डोम और दो दर्जन टेंट फुल, किया जाएगा विस्तार
यहां पर आने वाले श्रद्धालु पूरी आस्था और उत्साह के साथ महोत्सव में शामिल हो रहे है। समिति के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाओं में विस्तार किया जा रहा है। जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को कोई भी असुविधा नहीं होगी। शुक्रवार को कथा के दौरान भगवान गणेश आदि का प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया जाएगा।

 

MadhyaBharat 28 February 2025

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