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सीएम राइज स्कूल अब कहलाएंगे सांदीपनि विद्यालय : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
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भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार विद्यार्थियों को गणवेश, लैपटॉप, ई-स्कूटी, साइकिल, कोचिंग के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा कर सही अर्थ में रामराज की कल्पना को साकार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में मध्य प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में भी विकास कर रहा है। प्रदेश के समस्त निर्मित और निर्माणाधीन सीएम राइज स्कूलों का नाम अब सांदीपनि विद्यालय होगा।
 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को भोपाल की अरेरा कॉलोनी स्थित शासकीय नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (ओल्ड कैम्पियन) में आयोजित "स्कूल चलें हम" राज्य स्तरीय प्रवेश उत्सव कार्यक्रम-2025 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नवीन विद्यालय परिसर पहुंचने ही विद्यार्थियों से संवाद किया और इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी देखी। मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए चित्रों का अवलोकन कर सराहना की।
 
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में के.जी.-2 में प्रवेश लेने वाली नन्ही बालिकाओं को माला पहनाकर उनके विद्यालय में प्रवेश की औपचारिकता पूर्ण करवाई। उन्होंने नव प्रवेशी बालिकाओं को उपहार दिए। मुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों ने प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को सम्मान प्रदान किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने समस्त शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों के प्रवेश की कार्यवाही स्कूल शिक्षा विभाग के एजुकेशन पोर्टल 3.0 पर स्टूडेंट डायरेक्ट्री मैनेजमेंट सिस्टम से किए जाने और इस पोर्टल में स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित सभी कार्यों को शामिल किए जाने की प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने पोर्टल 3.0 का शुभारंभ भी किया।
 
भगवान श्रीकृष्ण ने की थी सबसे पहले "स्कूल चलें हम" अभियान की शुरुआत
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन विशेष है। अद्भुत संयोग है, जो मध्य प्रदेश की धरती पर हम देख रहे हैं। हमें अतीत में जाकर देखना होगा और अतीत के घटनाक्रम का शोध भी करना होगा। इसके अनुरूप आवश्यक सुधार भी हम करेंगे। उन्होंने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस को मारा तो उस समय की परिस्थितियों में उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा। वह प्रथम स्कूल चलें हम अभियान था। भगवान श्रीकृष्ण ने ही यह अभियान प्रारंभ किया। भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के कुशासन का अंत कर शिक्षा का महत्व प्रतिपादित किया। उस युग के ऋषि मुनियों ने निर्णय लिया कि श्रीकृष्ण को शिक्षा के लिए गोकुल भेजा जाए जो सांदीपनि आश्रम था। यहीं पर श्रीकृष्ण और सुदामा की अनुकरणीय मित्रता का उदाहरण भी पूरे विश्व ने देखा कि मित्रता का निर्वाह और आत्मीयता को किस तरह जीवन भर बनाए रखा जा सकता है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं शासकीय विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर यहां तक पहुंचे हैं। अनेक महान लोगों, जिनमें डॉ. एपीजे कलाम भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी लगन और परिश्रम से मिसाइल मैन और भारत के राष्ट्रपति बने। इसी तरह पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी अभाव और निर्धनता में रहकर कष्ट सहते हुए शिक्षा ग्रहण की, लेकिन अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी का भी उल्लेख किया जिन्होंने कठिन बाल्य काल और चाय की दुकान पर कार्य करते हुए आगे बढ़ते हुए परिश्रम से सम्मान प्राप्त किया है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में संभाग स्तर पर सफलतापूर्वक इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हुए। उद्योगपतियों ने मध्य प्रदेश में उद्योगों की स्थापना में कदम बढ़ाए हैं। ऐसे उद्योगपतियों की संख्या 60% है। राज्य शासन उद्योगों को समय-सीमा में भूमि के साथ अन्य सुविधाएं दे रहा है। लक्ष्य यही है कि विद्यार्थियों को और युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार दिलवाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान भोपाल में रात्रि विश्राम भी किया। भोपाल को राजधानी के अनुरूप इस समिट के आयोजन का सौभाग्य मिला। समिट के लिए स्थान की समस्या बताई गई थी लेकिन राज्य सरकार ने जो व्यवस्था की, उससे सभी संतुष्ट हुए और उद्योगपतियों ने टेंट में रूकने में भी संकोच नहीं किया। संपूर्ण आयोजन अभूतपूर्व हो गया। यही बदलते दौर का मध्य प्रदेश है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष कार्य हो रहा है। जहां संभाग स्तर पर बच्चों को शिक्षण-सत्र शरू होते ही अप्रैल महीने में पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है। कक्षा-एक से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए पाँच करोड़ 60 लाख पुस्तकें, एक करोड़ से अधिक फाउंडेशन टिरेसी एण्ड न्यूमरेसी अभ्यास पुस्तिकाएं और 26 लाख से अधिक ब्रिज कोर्स की पुस्तकें नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं। सभी जिलों में प्रवेशोत्सव कार्यक्रम हो रहे हैं। शाला त्यागी विद्यार्थियों को पुन: विद्यालय में प्रवेश के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कक्षा-एक से आठ तक सभी शालाओं में बाल सभाएं की गईं। सुपर-100 के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए ऐसी कोचिंग की व्यवस्था की गई है, जो उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य पदों पर चयन में मदद करेगी। प्रदेश के विद्यार्थियों ने जेईई मेन्स और नीट में अच्छा प्रदर्शन करते हुए सफलता प्राप्त की है। गत वर्ष 4.75 लाख ऐसे विद्यार्थियों को साईकिल की सुविधा दी गई, जिनका निवास स्कूल से अधिक दूर है। गत वर्ष विद्यार्थियों को 7 हजार 832 ई-स्कूटी प्रदान की गईं। इसी तरह गणवेश के लिए 360 करोड़ की राशि व्यय की गई। कक्षा 12वीं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों को 224 करोड़ रूपए की लागत से लैपटॉप प्रदान किए गए।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय नववर्ष विक्रम संवत्- 2082 से प्रारंभ हुआ है। विक्रम संवत का यह सिद्धार्थ संवत्वसर है। बसंत ऋतु का मौसम है। पूरे प्रदेश में उत्सव के साथ नववर्ष प्रारंभ हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को जानकारी दी कि सम्राट विक्रमादित्य ने शासन करते हुए भूभाग के समस्त नागरिकों को ऋण मुक्ति दिलवाकर ऐतिहासिक कार्य किया। हमारे राष्ट्र में किसी के जन्म या मृत्यु से संवत् प्रारंभ नहीं होता बल्कि लोककल्याण के अभूतपूर्व कार्य और पुरूषार्थ से संवत् व्यवस्था प्रारंभ हुई। सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्र के गौरव हैं।
 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विद्यार्थियों को दिए ये टिप्स
-विद्यार्थी समय का पूर्ण सदुपयोग करें।
-विद्यार्थी खूब पढ़े भी और खेलें भी।
-विद्यार्थी मित्रता का भी सम्मान करें। श्रीकृष्ण और सुदामा की मैत्री से सीखें।
-विद्यार्थी शासन द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं का लाभ लें।
-सभी विद्यार्थी अपनी बहुमुंखी प्रतिभा से राष्ट्र और प्रदेश का नाम रोशन करें।
MadhyaBharat 1 April 2025

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