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नई दिल्ली । लोकसभा में बुधवार को वक्फ अधिनियम में संशोधन से जुड़े विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। विधेयक को पिछले साल अगस्त में पेश किया गया था और बाद में चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया। समिति की सिफारिशों पर विचार कर इसे सदन में आज चर्चा के लिए लाया गया।
‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ के साथ इससे जुड़े निष्क्रिय हो चुके पुराने अधिनियम को कागजों से हटाने के लिए ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024’ लाया गया है। नए विधेयक का नाम अंग्रेजी में यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट इफिशिएंट एंड डेवलपमेंट बिल (उम्मीद बिल) रखा गया है। हिन्दी में यह एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम होगा।
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि विधेयक केवल वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है और इसका धार्मिक विषयों से कुछ लेना-देना नहीं है। विपक्ष मुसलमानों को अपना वोट बैंक मानता है और उसे गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। यह विधेयक न केवल मुसलमानों बल्कि देश के हित में है और इसके पारित होने पर विपक्ष को भी बदलाव अनुभव होगा।
रिजिजू ने विधेयक पर चर्चा के दौरान वक्फ अधिनियम में 2013 में हुए संशोधन से उपजी गड़बड़ियों और असिमित शक्तियों के कारण पैदा हुए विवादों को उठाया। उन्होंने विपक्ष पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण भी दिया। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार ने 2014 के चुनाव के पहले संशोधन किया था।
किरेन रिजिजू ने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक वक्फ संपत्ति भारत में है। भारत में सबसे अधिक संपत्ति रखने वाली निजी संस्था भी वक्फ है। ऐसे में उसका उचित प्रबंधन और उससे समुचित आय सुनिश्चित की जानी चाहिए। ऐसा होने पर असल में मुस्लिम समुदाय खासकर पिछड़े, गरीब और महिलाओं को लाभ मिल सकेगा।
उन्होंने सच्चर कमेटी की सिफारिशों का जिक्र करते हुए आंकड़े दिए और कहा कि तब 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थी जिनसे मात्र 163 करोड़ की आमदनी होती थी। तब यह आमदनी 12 हजार करोड़ तक की जा सकती थी। अब यह 8.72 लाख हो गई और आमदनी केवल 3 करोड़ बढ़कर 166 करोड़ हुई है। यह बहुत कम है और उचित प्रबंधन से इसे बढ़ाया जा सकता है, जिसका इस्तेमाल मुसलमानों के हित में ही होगा।
रिजिजू ने चर्चा के दौरान इस बात का भी उल्लेख किया कि 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने दिल्ली की 123 प्राइम प्रॉपर्टी वक्फ को सौंप दी थी। उन्होंने इसकी आवश्यकता पर सवाल उठाए और कहा कि तब की सरकार को लगा कि इससे चुनाव जीतने में मदद मिलेगी लेकिन वे हार गए।
संशोधित विधेयक के प्रावधानों की जानकारी देते हुए रिजिजू ने कहा कि विधेयक में कई तरह की गड़बड़ियां थीं, जिसे हमने बदला। वक्फ बोर्ड को धर्मनिरपेक्ष और समावेशी बनाने का प्रयास किया गया है। इसमें विशेषज्ञ को भी शामिल किया गया है। अब शिया, सुन्नी, बोहरा, पिछड़े मुस्लिम, महिलाएं और विशेषज्ञ गैर-मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड के सदस्य होंगे।
लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने के दौरान केरल से सदस्य एनके प्रेमचंद्रन ने विरोध जताया और कहा कि विधेयक पर चर्चा हेतु बनी जेपीसी को संशोधनों की सिफारिश करने का अधिकार है, उसके पास संशोधन का अधिकार नहीं है। इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि समिति की ओर से प्रस्तावित संशोधनों को कैबिनेट के समक्ष रखा गया है और इसकी अनुमति के बाद संशोधन के सहित यह विधेयक मंत्री लाए हैं।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए स्वीकारा कि विधेयक में कमियां हैं और इसमें संशोधन की जरूरत है। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार की विधेयक को लाने की मंशा गलत है। सरकार भ्रम फैला रही है जैसे विधेयक में विवाद में कोर्ट जाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने सत्ता पक्ष के इस दावे का खंडन किया कि विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। उन्होंने इस बात को उठाया कि जेपीसी में विपक्ष की ओर से सिफारिश किए गए सभी संशोधनों को मतविभाजन से अस्वीकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार की नजर मुसलमानों की जमीन पर है और इससे लिटिगेशन की समस्या बढ़ेगी।
विधेयक पर चर्चा करते हुए समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि वह इसके विरोध में मत करेंगे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे पार्टी अपने खोए हुए वोट बैंक को फिर से साधने की कोशिश कर रही है। वह कई क्षेत्र में अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए वक्फ संशोधन विधेयक लाई है।
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