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भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विविध प्रकार के सकारात्मक और नकारात्मक सामाजिक प्रभाव हो सकते है। उन्होंने बताया कि शालेय जीवन में जिस प्रकार से विज्ञान के वरदान अथवा अभिशाप होने पर चर्चा की जाती थी, कंप्यूटर और इंटरनेट क्रांति के शुरुआती दौर में भी रोजगार को लेकर इसी प्रकार के प्रश्न उठते थे। वर्तमान युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संबंध में भी विभिन्न धारणाएं बन रही हैं, जिनसे इस अत्याधुनिक तकनीक को आशीर्वाद और संकट दोनों ही रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आशा जताई कि इसके समाज पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव होंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान द्वारा दिल्ली में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सामाजिक प्रभाव’ विषय पर आयोजित सेमिनार के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दीनदयाल शोध संस्थान को इस गहन विषय पर सेमिनार आयोजित करने के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि एआई आने से यह धारणा बनी है कि इससे बहुत सी नौकरियां खत्म हो जायेंगी। उन्होंने कहा कि जब कम्प्यूटर आये थे, तो यह ही डर बना था। लेकिन जैसे उस वक्त नौकरियां पैदा हुई वैसे ही आज एआई नई नौकरियां पैदा कर रहा है और मौजूदा नौकरियों को बदल रहा है। खासतौर पर डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में यह तकनीकी व्यवसायों को नये उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने और उनकी दक्षता में सुधार करने में मदद कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक शक्तिशाली तकनीक है, जिसके सामाजिक प्रभाव बहुत गहरे हैं। हमें इस पर विचार करना चाहिये कि किस तरह हम इसे वरदान बनाये।
सेमिनार में केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितिन प्रसाद, नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत, दीनदयाल शोध संस्थान के महासचिव अतुल जैन, आरआईएस के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने भी सत्र में अपने विचार रखे। संस्थान की ओर से मुख्यमंत्री डॉ. यादव और अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
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