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रक्षा मंत्री ने बहु-क्षेत्रीय वातावरण में सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार रहने की सलाह दी
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नई दिल्ली । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों को सलाह दी है कि आज के लगातार विकसित हो रहे बहु-क्षेत्रीय वातावरण में संयुक्त रूप से काम करके भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए, जहां साइबर, अंतरिक्ष और सूचना युद्ध आदि पारंपरिक अभियानों की तरह ही शक्तिशाली हैं। उन्होंने अधिकारियों से रणनीतिक-सैन्य परिवर्तन के लिए बारीकियों का गहराई से अध्ययन करने का आग्रह किया।
 
रक्षा मंत्री गुरुवार को तमिलनाडु के वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) के 80वें स्टाफ कोर्स के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारत और मित्र देशों के सशस्त्र बलों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की वैश्विक भू-राजनीति को तीन प्रमुख मापदंडों से पुनर्परिभाषित किया जा रहा है। सरकार सशस्त्र बलों को बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन में सक्षम तकनीकी रूप से उन्नत युद्ध के लिए तैयार बल में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भारत को अपनी सीमाओं पर लगातार खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जो उसके पड़ोस से उत्पन्न होने वाले छद्म युद्ध और आतंकवाद की चुनौती से और भी जटिल हो गए हैं।
 
राजनाथ सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य उभरती हुई प्रौद्योगिकियां युद्ध में क्रांति ला रही हैं। यूक्रेन-रूस संघर्ष में ड्रोन एक नए हथियार के रूप में उभरे हैं। सैनिकों और उपकरणों के अधिकांश नुकसान के लिए पारंपरिक तोपखाने के बजाय ड्रोन को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसी तरह पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष क्षमताएं, सैन्य खुफिया, निरंतर निगरानी और संचार को बदल रही हैं, जिससे युद्ध एक नए स्तर पर पहुंच रहा है। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि दुनिया ग्रे जोन और हाइब्रिड युद्ध के युग में है, जहां साइबर हमले, दुष्प्रचार अभियान और आर्थिक युद्ध ऐसे उपकरण बन गए हैं, जिनसे एक भी गोली चलाए बिना राजनीतिक-सैन्य लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
 
राजनाथ सिंह ने प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन जैसे गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों के अलावा पश्चिम एशिया में संघर्ष और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव के समग्र सुरक्षा गणित पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बात की। उन्होंने भविष्य के युद्धों के लिए सक्षम और प्रासंगिक बने रहने के लिए सशस्त्र बलों के परिवर्तन को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भरता के माध्यम से सशस्त्र बलों के विकास और आधुनिकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कम लागत वाली उच्च तकनीक विकसित करने और सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है। हमारे बलों को न केवल तकनीकी परिवर्तनों के साथ तालमेल रखना चाहिए, बल्कि इसका नेतृत्व भी करना चाहिए।
MadhyaBharat 10 April 2025

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