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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वामी रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने पर दी बधाई
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भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूज्य संत, पद्मविभूषित जगद्गुरु तुलसीपीठाधीश्वर, रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023 से सम्मानित होने पर बधाई दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए स्वामी रामभद्राचार्य को यह सम्मान प्रदान किया गया है।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शनिवार को सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि संस्कृत के प्रकांड विद्वान स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा दृष्टिबाधित होने के बावजूद अंतर्मन के आलोक से वेद, उपनिषद एवं रामकथा की जो गूढ़ व्याख्या की गई है, वह भारत ही नहीं, वैश्विक साहित्य जगत के लिए अनुपम आध्यात्मिक धरोहर है। उन्होंने कहा कि भारतीय संत परंपरा के गौरव, श्रद्धेय संत पद्मविभूषित स्वामी रामभद्राचार्य की संस्कृत साधना और तपस्वी जीवन की इस उपलब्धि से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी।


उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने भी जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज को दी बधाई
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पूज्य संत रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को संस्कृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान हेतु प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार-2023’ से सम्मानित किए जाने पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें आत्मीय बधाई दी है। शुक्ल ने कहा कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, विद्वता और करुणा का अनुपम संगम है। उन्होंने शारीरिक सीमाओं के बावजूद ज्ञान, संस्कृति और संस्कृत साहित्य के संवर्धन हेतु जो कार्य किया है, वह समूचे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका यह सम्मान वास्तव में उस सनातन चेतना का सम्मान है, जो भारत की आत्मा में प्रवाहित होती है।


उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि संस्कृत भाषा और दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए जगद्गुरु जी ने जो अनथक साधना की है, वह एक युगद्रष्टा संत की पहचान है। ज्ञानपीठ जैसा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान उनके तप और कर्म की स्वीकृति है। यह केवल एक संत का नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति और परंपरा का गौरव है।


उल्लेखनीय है कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य जन्म से दृष्टिबाधित होने के बावजूद रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, दर्शन और संस्कृत साहित्य में अप्रतिम विद्वान हैं। वे अनेक भाषाओं में निपुण हैं और उन्होंने दर्जनों ग्रंथों की रचना की है। वे तुलसीपीठ, चित्रकूट के अधिष्ठाता हैं और शिक्षा, दिव्यांगजन सेवा व धर्म के क्षेत्र में अनेक संस्थाओं के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।

 

 

MadhyaBharat 17 May 2025

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