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नक्सलियों के शव हेलीकॉप्टर से छत्तीसगढ़ के नारायणपुर लाए गए
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नारायणपुर । छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा के सीमावर्ती क्षेत्र अंतर्गत अबूझमाड़ के बाेटेर इलाके में बुधवार को हुए सुरक्षाबलों और नक्सली मुठभेड़ में मारे गए डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली नम्बाला केशव राव उर्फ बशव राजू सहित 27 नक्सलियों के शव नारायणपुर मुख्यालय लाया गया। इन सभी नक्सलियों के शवों को वायु सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से नारायणपुर जिला मुख्यालय लाया गया है। नारायणपुर पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने इसकी पुष्टि की है।

 

उल्‍लेखनीय है क‍ि डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली नम्बाला केशव राव उर्फ बशव राजू को मार गिराना कितना अहम है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसका शव नारायणपुर जिला मुख्यालय तक हेलीकॉप्टर से लाया गया है। बुधवार को दिनभर नारायणपुर जिले का मौसम खराब था, इसलिए हेलीकॉप्टर मौके पर नहीं पहुंच पाया था। नक्सली नम्बाला केशव राव उर्फ बशव राजू का शव कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया था। ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी एक नक्सल लीडर के शव के लिए इतनी एहतियात बरती जा रही है। बुधवार देर रात तक नम्बाला केशव राव उर्फ बशव राजू का शव जंगल में ही था। उसके शव को एक हजार से ज्यादा जवान घेरे हुए थे। गुरुवार सुबह सूरज की पहली किरण के साथ उसका शव हेलीकॉप्टर से नारायणपुर जिला मुख्यालय लाया गया।

 

पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए बसव राजू के अलावा किसी भी नक्सली का नाम अभी जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि आज नक्सलियाें के शव नारायणपुर जिला मुख्यालय पहुंचने के बाद विस्तृत जानकारी दी जायेगी। सूत्र बता रहे हैं कि इस मुठभेड़ में नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य 25 लाख का इनामी मधु भी मारा गया है। साथ ही तेलंगाना कैडर से दो अन्य नक्सली मारे गए हैं।

 
1987 में लिट्टे के पूर्व सैनिकों को बस्तर बुलाकर ली थी ट्रेनिंग-
नम्बाला केशव राव उर्फबसव राजू ने बस्तर में नक्सल संगठन को मिलिट्री आर्मी का रूप दिया था। नक्सलियों ने अब तक उसके बताए मॉडल पर काम करते हुए हजारों हत्याएं की थीं । कहा जाता है कि साल 1987 में उसने बस्तर के जंगलों में श्रीलंकाई लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी लिट्टे के पूर्व सैनिकों से घातक हमलों और विस्फोटक सामग्री के उपयोग का प्रशिक्षण लिया था। तब से आज तक उसी गुरिल्ला वॉर के तहत नक्सली लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं।
 
नक्सल अभियान की सफलता में डीआरजी जवानों का हाेगा उल्लेख-
नक्सल इतिहास के सबसे बड़े नक्सल विराेधी अभियान की जब भी सफलता की बात होगी तो डीआरजी जवानों का उल्लेख प्रमुख रूप से होगा। डीआरजी के जवान ही इस ऑपरेशन पर क्यों गए इसकी चर्चा हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बड़े ऑपरेशन में अलग-अलग सुरक्षाबल के जवान होने पर समन्वय में दिक्कत होती है। वहीं डीआरजी जवान माड के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे, इसलिए उन्हें भेजा गया। ऐसा पहली बार हुआ जब सिर्फ डीआरजी के जवानों को भेजा गया। इससे पहले के सभी ऑपरेशन में अलग-अलग बल के जवानों के साथ डीआरजी जवान रहते थे। इस बार नारायणपुर, कोण्डागांव, बीजापुर और दंतेवाड़ा के एक हजार से ज्यादा जवान माड़ में दाखिल हुए और नक्सली संघटन के महासचिव बसव राजू को ढेर कर दिया। बसव राजू कितना बड़ा नक्सली था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिड़मा के हाथ में हथियार थमाने वाला वही था। हिड़मा को हिड़मा बनाने वाला वही था। उसने ही नक्सलियों की सबसे दुर्दांत पीएलजीए बटालियन खड़ी की थी। वह नक्सलियों की सैन्य इकाई का लंबे वक्त तक प्रमुख रहा।
 
बड़ी सफलता के बाद सुरक्षाबल अलर्ट पर-
पिछले डेढ़ वर्ष में सुरक्षाबलाें ने सैकड़ों नक्सलियों को मारा लेकिन बुधवार को बसव राजू के मारे जाने के बाद से बस्तर में हलचल है। किसी भी तरह की विपरित स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षाबला अलर्ट पर हैं। केंद्र से भी स्पष्ट निर्देश हैं कि सतर्क व चौकन्ना रहें।
MadhyaBharat 22 May 2025

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