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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच टेलीफोन पर 35 मिनट तक बातचीत हुई। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी और भारत पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय मसलों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने यह जानकारी आज दी। उन्होंने बताया कि जी-7 शिखर सम्मेलन की बैठक के इतर मोदी और ट्रंप की मुलाकात प्रस्तावित थी, लेकिन ट्रंप को अचानक अमेरिका लौटना पड़ा। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर यह फोन वार्ता हुई। यह बातचीत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पहली बार हुई है, जिसमें ट्रंप ने पहले फोन पर संवेदना व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने ट्रंप को बताया कि भारत ने 6-7 मई की रात केवल आतंकी ठिकानों पर सीमित, सटीक और संतुलित कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य प्रतिक्रिया गैर-उत्तेजक थी और इसका उद्देश्य केवल आतंकवाद पर कठोर प्रहार करना था। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि 9 मई को उपराष्ट्रपति वेंस ने संभावित पाकिस्तानी हमले की चेतावनी दी थी, जिसका भारत ने प्रभावी और निर्णायक जवाब दिया।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अमेरिका से किसी भी प्रकार की मध्यस्थता या ट्रेड डील पर कोई चर्चा नहीं हुई। पाकिस्तान ने ही सैन्य कार्रवाई रोकने का आग्रह किया, जो दोनों देशों के सैन्य संपर्क चैनलों के माध्यम से हुआ। उन्होंने दोहराया कि भारत न कभी मध्यस्थता स्वीकार करता है, न करेगा, और इस पर देश में पूर्ण राजनीतिक एकमत है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के रुख को समझा और आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई का समर्थन किया। दोनों नेताओं ने इजरायल-ईरान संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने क्वाड की अगली बैठक के लिए ट्रंप को भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे ट्रंप ने स्वीकार किया।
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