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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह के दौरान ‘धर्म चक्रवर्ती’ की प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया गया। यह समारोह जैन संत आचार्य विद्यानंद महाराज की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने जैन समाज और देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिन भारत की आध्यात्मिक चेतना के लिए महत्वपूर्ण क्षण है।
प्रधानमंत्री ने जैसे ही अपने भाषण में कहा, “जो हमें छेड़ेगा...”, वैसे ही पूरा विज्ञान भवन भारत माता की जय के नारों और तालियों से गूंज उठा। मोदी ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं जैनियों के कार्यक्रम में हूं, अहिंसा में विश्वास रखने वालों के बीच हूं। मैंने तो अभी आधा वाक्य ही बोला था, आपने पूरा कर दिया। लगता है आप 'ऑपरेशन सिंदूर' को आशीर्वाद दे रहे थे।”
इससे पहले प्रधानमंत्री ने आचार्य विद्यानंद महाराज के शताब्दी वर्ष समारोह का औपचारिक उद्घाटन किया, जिसे भारत सरकार और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में वर्ष भर मनाया जाएगा।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, “आचार्य विद्यानंद मुनिराज की जन्मशताब्दी का यह पुण्य पर्व, उनकी अमर प्रेरणाओं से ओतप्रोत यह आयोजन, हम सभी को गहरे आध्यात्मिक भाव से जोड़ता है। 28 जून की यह तिथि इसलिए भी खास है क्योंकि वर्ष 1987 में इसी दिन आचार्य विद्यानंद को आचार्य पद की उपाधि प्राप्त हुई थी। यह सिर्फ एक सम्मान नहीं था, बल्कि संयम, विचार और करुणा से जुड़ी एक पवित्र परंपरा का आरंभ था।”
‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं स्वयं को इस उपाधि के योग्य नहीं मानता लेकिन हमारी परंपरा है कि संतों से जो भी प्राप्त होता है, उसे प्रसाद स्वरूप स्वीकार किया जाता है। मैं इसे विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता हूं और भारत माता के चरणों में अर्पित करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने 'नवकार महामंत्र दिवस' पर लिए गए नौ संकल्पों की भी याद दिलाई- जिनमें जल संरक्षण, एक पेड़ मां के नाम, स्वच्छता, वोकल फॉर लोकल, प्राकृतिक खेती, योग, खेल, गरीबी उन्मूलन और भारतीय दर्शन को अपनाने जैसे संकल्प शामिल हैं।
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