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नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बांग्लादेश पर 35 फीसदी टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में 8 फीसदी तक की तेजी आई है। जानकारों का कहना है कि टैरिफ बढ़ने से बांग्लादेश की निर्यात लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी। ऐसे में अमेरिकी बाजार में भारत कपड़ा निर्यात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है।
शेयर बाजार में मंगलवार 8 जुलाई को इंट्राडे ट्रेड में गोकलदास एक्सपोर्ट्स, केपीआर मिल, वर्धमान टेक्सटाइल्स और अरविंद लिमिटेड सहित भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में 8.2 फीसदी तक की उछाल आई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन ने परिधान और कपड़ा क्षेत्र के लिए विशेष निहितार्थों के साथ बांग्लादेश पर 35 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की।
दरअसल, भारत के निर्यात पर अमेरिका का सामान्य टैरिफ 10 फीसदी है। लेकिन टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स पर अलग-अलग कैटेगरी की वजह से ये 26 फीसदी तक जा सकता है। इसका फायदा भारतीय टेक्सटाइल कंपनियों को मिल सकता है। अमेरिकी बाजार में भारत कपड़ा निर्यात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 35 फीसदी टैरिफ लगने से बांग्लादेश की निर्यात लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी।
बांग्लादेश पर टैरिफ लगने से उसके उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इससे भारतीय कंपनियों को वहां के मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिल सकता है। अगर भारत और अमेरिका के बीच कोई ट्रेड डील होती है तो भारत का फायदा बढ़ सकता है। ब्रांड्स बांग्लादेश में सस्ती लेबर और बड़े पैमाने पर उत्पादन की सुविधा के कारण अपने कपड़े बनवाते हैं। बांग्लादेश के करीब 4,000 से ज्यादा कारखाने और 40 लाख से अधिक श्रमिक इस उद्योग का हिस्सा हैं, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेडिमेड कपड़ा निर्यातक बनाता है। अमेरिका के रेडिमेड गारमेंट मार्केट में बांग्लादेश का शेयर 9 फीसदी है, जबकि भारत का शेयर करीब 6 फीसदी है। वहीं, वियतनाम 19 फीसदी के साथ सबसे आगे है।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ लगाने की समय-सीमा बढ़ाकर 1 अगस्त कर दी है। पहले यह समय-सीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रहा था। भारत, जो अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है, ट्रंप प्रशासन से टैरिफ पत्र प्राप्त करने वाले देशों की सूची में शामिल नहीं था। अमेरिका के जवाबी शुल्क के निलंबन को 01 अगस्त तक बढ़ाने से भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी। इससे दोनों देशों को अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए लंबित मुद्दों को सुलझाने के वास्ते अतिरिक्त समय मिलेगा।
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