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जबलपुर । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में रत्ना प्रभा लांबा द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि भू-माफिया महेंद्र सिंह गुजराल को 80 लाख रुपए में पुलिस अधिकारियों ने उनकी जमीन का कब्जा दिलवाया। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में आरोप है कि पुलिस ने बिना कोर्ट ऑर्डर के उनकी जमीन खाली करवाई।
हाईकोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर यह जानना चाहा है कि आखिर किस कानूनी प्रावधान या कोर्ट के आदेश के तहत रत्ना प्रभा लांबा की संपत्ति का कब्जा महेंद्र सिंह गुजराल को दिया गया। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस मामले में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों मप्र के डीजीपी, जबलपुर आईजी, एसपी और सीएसपी गोरखपुर एच.आर. पांडे को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। रत्ना प्रभा लांबा ने याचिका में आरोप लगाया कि दिनांक 28 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट से पुलिस अधीक्षक को केवल जांच के निर्देश दिए गए थे, लेकिन बिना जांच किए, सीएसपी एच.आर. पांडे के नेतृत्व में गोरखपुर, ग्वारीघाट पुलिस ने मिलकर 29 सितंबर 2024 को जबरन उनकाा कब्जा हटवाया और उसे महेंद्र सिंह गुजराल को सौंप दिया।
याचिका में उल्लेखित है कि महेंद्र सिंह गुजराल 'भू-माफिया' है। उन पर अलग-अलग न्यायालयों में करीब 23 मामले लंबित हैं। साथ ही, 2017 में उनके खिलाफ ईओडव्लू (आर्थिक अपराध शाखा) द्वारा आईपीसी की धारा 420 में एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। 2023 में भी एक अन्य आपराधिक केस उनके खिलाफ पंजीबद्ध हुआ, जिसकी जांच अभी लंबित है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि एएसपी द्वारा की गई जांच में स्पष्ट रूप से यह बात सामने आई है कि सीएसपी एच. आर. पांडे ने अवैध रूप से पुलिस बल को इकठ्ठा किया और बिना किसी कानूनी आदेश के कार्रवाई की। याचिका में यह भी उल्लेख है कि याचिकाकर्ता के एडिशनल एसपी के सामने दर्ज बयानों में बताया गया कि इस कब्जे को दिलवाने के एवज में 80 लाख रुपए की डील हुई थी।
याचिका में मांग की गई है कि याचिकाकर्ता को उसकी जमीन का कब्जा लौटाया जाए और इस प्रक्रिया में शामिल पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ता ने गुरुवार को कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए दोषी अधिकारियों पर 1 करोड़ रुपए के जुर्माने की मांग की है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की है।
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