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कोरबा/जांजगीर-चांपा । स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में प्रोटोकॉल और व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े हो गए। कार्यक्रम में सत्ताधारी दल के कुछ सदस्यों को प्राथमिकता दी गई, जबकि जांजगीर-चांपा के निर्वाचित विधायक ब्यास कश्यप को उचित सम्मान और तवज्जो नहीं दी गई।
कार्यक्रम स्थल पर पहले भी पत्रकार दीर्घा पर कब्जा होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, वहीं आज भी स्थितियां जस-की तस बनी हुई है, पत्रकार अपने बच्चों काे लेकर पहुंचते है लेकिन वहां कई अन्य लोगों का कब्जा दिखा और इस बार वीआईपी कुर्सियों पर ‘आरक्षण’ को लेकर विवाद हुआ। जिला प्रशासन ने नाम और पद के अनुसार कुर्सियों पर स्टीकर लगाकर सीटें सुरक्षित करने का प्रयास किया था, लेकिन यह व्यवस्था कायम नहीं रह सकी।सांसद की सीट सुरक्षित करना भी प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया। चूंकि पूर्व में ही यह निर्धारित हो चुका था कि सांसद कमलेश जांगड़े सक्ती जिला मुख्यालय में ध्वजारोहण करेंगी, ऐसे में उनकी कुर्सी यहां सुरक्षित करना विवाद को और बढ़ाने वाला कदम साबित हुआ।
स्थिति यह रही कि जिन लोगों को जिला प्रशासन ने औपचारिक आमंत्रण भेजा था, उनके लिए भी निर्धारित सीटें सुरक्षित नहीं रहीं। यहां तक कि सांसद की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं रखी जा सकी। घटना के बाद प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी विधायक ब्यास कश्यप को मनाने पहुंचे, लेकिन उनका प्रयास अधूरा ही रह गया।
स्थानीय लोगों और आमंत्रित जनप्रतिनिधियों का कहना है कि 79 वर्षों बाद भी अगर ऐसे अवसरों पर प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का पालन नहीं हो पा रहा, तो यह ‘आजादी’ अधूरी ही प्रतीत होती है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने भी इस अवसर पर प्रोटोकॉल का सम्मान नहीं किया, जो आने वाले समय में उनके लिए अपमान का कारण बन सकता है। समय और सत्ता का बदलना तय है, और ऐसे में यह स्थिति कभी भी उनके सामने आ सकती है।
विधायक ब्यास कश्यप ने प्रोटोकॉल उल्लंघन पर जताई नाराज़गी
जांजगीर-चांपा विधायक ब्यास कश्यप ने जिला मुख्यालय में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम में हुए प्रोटोकॉल विवाद पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा, “ध्वजारोहण तक मैं तिरंगे का सम्मान करते हुए वहां मौजूद रहा, लेकिन उसके बाद कार्यक्रम स्थल छोड़ दिया।
विधायक कश्यप ने आगे कहा कि प्रोटोकॉल का सम्मान सभी को करना चाहिए, न कि विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को नीचा दिखाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की परंपरा आने वाले समय में किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए घातक साबित होगी। “किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए अपमान बर्दाश्त करने योग्य नहीं है ।
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