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नई दिल्ली । राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। उपराष्ट्रपति एवं सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति ने इसकी घोषणा की। इस सत्र में 15 विधेयकों को पारित किया या लौटाया गया।
उपसभापति हरिवंश ने इस सत्र में बहुमूल्य संसदीय समय के नुकसान पर चिंता जताई और ‘गंभीर आत्ममंथन’ की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इस सत्र में सदन मात्र 41 घंटे 15 मिनट तक ही चल सका और इसकी उत्पादकता केवल 38.88 प्रतिशत रही। सदस्यों को कुल 285 प्रश्न, 285 ज़ीरो आवर प्रस्तुतियां और 285 विशेष उल्लेख उठाने का अवसर मिला था, लेकिन इनमें से केवल 14 प्रश्न, 7 ज़ीरो आवर प्रस्तुतियां और 61 विशेष उल्लेख ही लिए जा सके।
इसके अतिरिक्त पाहलगाम में हुए आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा आयोजित की गई। यह चर्चा दो दिन तक चली और इसमें 64 सदस्यों ने भाग लिया। इस पर गृह मंत्री ने विस्तृत उत्तर दिया।
उपसभापति ने अफसोस व्यक्त किया कि सत्र बार-बार के व्यवधान और स्थगन से प्रभावित रहा, जिससे बहुमूल्य संसदीय समय का नुकसान हुआ और कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा नहीं हो सकी। सार्थक और व्यवधान रहित बहस की भरसक कोशिशों के बावजूद सदन की कार्यप्रणाली अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। उन्होंने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने सत्र के दौरान भारत–अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार पर वक्तव्य दिया। सत्र के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के छह सदस्यों का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हुआ, जिनको सदन ने भावभीनी विदाई दी।
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