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नई दिल्ली । विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के साथ भारत की व्यापार वार्ता अब भी जारी है और हमारी कुट्टी नहीं हुई है। हालांकि कुछ सीमा रेखा हैं जिन्हें पार नहीं किया जाना चाहिए। भारत के अपने राष्ट्रीय हित हैं जिनके आधार पर हम निर्णय लेते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने मोदी सरकार की स्पष्ट नीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किसानों के हित, रणनीतिक स्वायत्तता और पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर किसी भी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करना वे ‘रेड लाइन’ हैं जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने शनिवार को एक समाचार पत्र से जुड़े कार्यक्रम में अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर भारत के स्पष्ट रूख को रखा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका की परंपरागत नीतियों के इतर गैर-व्यापारिक मुद्दों पर भी व्यापार को बीच में ला रहे हैं। यह अटपटा है। वहीं सार्वजनिक तौर पर उनकी ओर से आ रहे बयान असलियत से अलग हैं।
उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ, यहां तक कि अपने देश के साथ भी, व्यवहार करने का तरीका पारंपरिक तरीके से बिल्कुल अलग था। उदाहरण के लिए, व्यापार के लिए भी इस तरह से टैरिफ लगाना एक नया अनुभव है। गैर-व्यापारिक मुद्दों पर टैरिफ लगाना और भी असामान्य है।
विदेश मंत्री ने अमेरिका के रूस के साथ तेल खरीद को लेकर भारत पर टैरिफ प्रतिबंध लगाए जाने के विषय को महज दिखावा बताया। उन्होंने कहा कि रूस से सबसे ज्यादा तेल चीन आयात कर रहा है और ऊर्जा सबसे ज्यादा यूरोप आयात कर रहा है।
जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के साथ भारत की व्यापार वार्ता अब भी जारी है। दोनों पक्षों में से किसी ने भी नहीं कहा कि व्यापार वार्ता समाप्त हो गई। हालांकि हमारी कुछ रेड लाइन हैं और यह हमारे राष्ट्रीय हितों से जुड़ी हैं। भारत अपने किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों से समझौता नहीं कर सकता। भारत रणनीतिक स्वायत्तता रखता है और हम अपने निर्णय स्वयं लेते हैं। वहीं पाकिस्तान के विषय में भारत में एक राष्ट्रीय स्तर पर एकमत है कि हम पड़ोसी के साथ अपने संबंधों को लेकर हम किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे।
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