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रायपुर। नीति आयोग ने शुक्रवार काे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में फॉस्टरिंग मेंटरशिप इन एजुकेशन: ए पाथवे टू इक्विटी विषय पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की भावना को साकार करते हुए शिक्षा व्यवस्था को अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी बनाने के लिए मेंटरशिप की भूमिका पर गहन विचार-विमर्श करना था। कार्यशाला में शिक्षा में समानता को बढ़ावा देने और ड्रॉपआउट दरों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जहां विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और स्टेकहोल्डर्स ने अपने अनुभव साझा किए।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए शिक्षा में संरचित और संस्थागत मेंटरशिप कार्यक्रमों को समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के कारण, मानव पूंजी निर्माण के कारण और हर बच्चे को समान अवसर देने के कारण महत्वपूर्ण है। हम सुनने, संश्लेषण करने और एक राष्ट्रीय फ्रेमवर्क बनाने आए हैं।
‘‘डॉ. पॉल ने ड्रॉपआउट दरों के चिंताजनक आंकड़ों पर प्रकाश डाला: ‘प्राइमरी स्कूल में 93 प्रतिशत एनरॉलमेंट है, लेकिन अपर प्राइमरी में तीन प्रतिशत बच्चे छूट जाते हैं, सेकेंडरी में 56 प्रतिशत और 12वीं में मात्र 23 प्रतिशत बच्चे पहुंचते हैं। 2019 से 2023 तक सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में 15,000 ओबीसी/एससी/एसटी छात्र छोड़कर चले गए, जबकि आईआईटी और आईआईएम में कुल 4,000 से अधिक ड्रॉपआउट हुए। यह न केवल व्यक्तिगत हानि है, बल्कि राष्ट्र की क्षमता का नुकसान है। हमें डेनोमिनेटर पर फोकस करना होगा, न कि अपवादों पर।
विशेष अतिथि के रूप में वित्त, वाणिज्य कर, आवास, पर्यावरण, योजना, आर्थिक और सांख्यिकी मंत्री ओ. पी. चौधरी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए शिक्षा में मेंटरशिप की भूमिका को सामाजिक न्याय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में समानता और सशक्तिकरण की दिशा में मेंटरशिप यानी मार्गदर्शन और प्रेरणा की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज की यह कार्यशाला तीन मुख्य भागों में विभाजित हैै। पहला सत्र स्कूल शिक्षा में मेंटरशिप पर केंद्रित, दूसरा उच्च शिक्षा में इसकी भूमिका पर और तीसरा कौशल विकास पर। यह राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा में समानता के लिए एक साझा ढांचा तैयार करने का महत्वपूर्ण अवसर है, जो विकसित भारत के सपने को साकार करने में मदद करेगा।
मंत्री चौधरी ने छत्तीसगढ़ की जनसांख्यिकीय ताकत पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश की औसत आयु 28 वर्ष है, लेकिन छत्तीसगढ़ की औसत आयु मात्र 24 वर्ष है। यह हमारी सबसे बड़ी ताकत है, क्योंकि दुनिया के 20 प्रतिशत युवा भारत में रहते हैं। लेकिन यदि हम इन युवाओं को उचित शिक्षा, कौशल और आत्मविश्वास नहीं दे पाए, तो यह डेमोग्राफिक डिविडेंड एक डिजास्टर बन सकता है। हमें युवाओं को अर्थव्यवस्था से जोड़ना होगा, ताकि वे विकसित भारत का निर्माण कर सकें।
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