Since: 23-09-2009
बलरामपुर । छत्तीसगढ़ का बलरामपुर जिला चाराें तरफ से पहाड़ी क्षेत्राे से घिरा हुआ है। जंगली जानवराें के साथ-साथ विषैले सांपाे का भी यहा बसेरा है। हर साल सर्पदंश से कई लाेगाें की जान जाती है। कई ताे झाड़ फूंक के चक्कर में आकर अस्पताल पहुंचने में लेट कर देते है जिससे लेट उनकी जान चली जाती है। कभी बारिश तो कभी धूप होने से बलरामपुर जिले में रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार अनुसार, अप्रेल से जुलाई माह तक सर्पदंश के शिकार होकर 436 पीड़ित जिला अस्पताल पहुंचे। इसमें से 5 पीड़ितों की उपचार के दौरान मौत भी हो गई।
उल्लेखनीय है कि, कभी धूप तो कभी बारिश होने के कारण मौसम में उमस होने से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में रेंगती मौत का खतरा बढ़ गया है। आए दिन एक-दो लोग सर्पदंश के शिकार हो रहे हैं। हालांकि लोगों में जागरूकता होने के कारण तत्काल अस्पताल पहुंचने से ज्यादातर लोगों की जान बच जा रही हैं। जिन मरीजों को अस्पताल पहुंचने में देर हो रही है उन्हीं की मौत हो रही है। आकड़ाें के अनुसार, अप्रैल माह से ही सर्पदंश के मामले शुरू हो जाते हैं। इसे देखते हुए जिले के अस्पतालों में एंटी स्नैक बाइट भी उपलब्ध करा दिया जाता है, ताकि मरीजों का तत्काल उपचार हो सके।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस संबंध में जिले के रामानुजगंज साै बिस्तर अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी साकिंदर गुप्ता ने बताया कि, यह समय सर्पों के बिलों से बाहर निकलने का अनुकूल मौसम बन रहा है, क्योंकि ज्यादा बारिश होने से बिलों में पानी भरने से सर्प बाहर निकल रहे हैं। आने वाले माह में बारिश थमते ही उमस बढेगा, जिसके बाद भी सर्प बाहर निकलेंगे। इससे लोगों को घांस-फूस व जंगली क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए। साथ ही खेत-खलिहान व घरों में जमीन पर बैठने व सोने से बचने की जरूरत है। इस समय जितने भी सर्पदंश के मामले आ रहे हैं उसमें ज्यादतर जमीन पर सोने वाले ही है।
MadhyaBharat
|
All Rights Reserved ©2025 MadhyaBharat News.
Created By:
Medha Innovation & Development |