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जबलपुर । मध्य प्रदेश उच्च न्यायाालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने अवैध खनन से जुड़े आशुतोष दीक्षित बनाम ईओडब्ल्यू केस की सुनवाई से अचानक खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस मिश्रा ने मंगलवार को केस की आर्डर शीट में इस बात का उल्लेख किया कि विधायक संजय पाठक ने उनसे इस मामले पर चर्चा करने के लिए सीधे फोन पर बातचीत की कोशिश की। जिसके चलते मैं अब इस केस की सुनवाई करने का इच्छुक नहीं हूं।
इस बात को कोर्ट ने बेहद गंभीर माना एवं केस को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। अब चीफ जस्टिस यह तय करेंगे कि मामला किस बेंच में सुना जाएगा।
दरअसल, याचिकाकर्ता कटनी निवासी आशुतोष दीक्षित की ओर से अवैध उत्खनन को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में बताया गया कि उसने बड़े स्तर पर अवैध खनन की शिकायत ईओडब्ल्यू में दर्ज कराई थी। जिस पर आरोप था कि निर्धारित समय सीमा के भीतर जांच पूरी नहीं की गई। जिसके चलते उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय राम ताम्रकार और अंकित चौपड़ा पेश हुए, जबकि ईओडब्ल्यू की तरफ से मधुर शुक्ला ने दलीलें दीं।
हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अंशुमान सिंह और वासु जैन उपस्थित रहे। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान खास तौर पर हस्तक्षेप आवेदन का उल्लेख किया, जो निर्मला पाठक (पत्नी स्व. सत्येन्द्र पाठक) और यश पाठक (पुत्र संजय सत्येन्द्र पाठक) द्वारा दाखिल किया गया है।
इस याचिका में विधायक संजय पाठक को पक्षकार नहीं बनाया गया था। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान भाजपा विधायक संजय पाठक ने हस्तक्षेप का आवेदन दायर कर अपनी बात रखने की अनुमति मांगी। इस घटना के बाद हाईकोर्ट में चर्चा का दौर प्रारंभ हो गया है।
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