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पंजाब दौरे से लौटने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने शुक्रवार को सोशल मीडिया 'एक्स' पर लिखा कि पंजाब में बाढ़ की परिस्थितियां चिंताजनक हैं। पंजाब में जलप्रलय की स्थिति है। फसलें तबाह और बर्बाद हो गई हैं। संकट की इस घड़ी में केंद्र सरकार पंजाब की जनता और किसानों के साथ खड़ी है। अब बाढ़ग्रस्त इलाकों के पुनर्निमाण के लिए हमें योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है। पंजाब को इस संकट से बाहर निकालने के लिए अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी। वह प्रधानमंत्री मोदी को पंजाब के नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।
चौहान ने कहा कि संकट बड़ा है, लेकिन इस संकट से निकलने के लिए केंद्र सरकार कोई भी कसर नहीं छोड़ेगी। साथ ही राज्य सरकार को भी पूरी गंभीरता के साथ जमीनी स्तर पर काम करना होगा। जब पानी उतरेगा तो बीमारी फैलने का खतरा सामने होगा। मरे हुए पशुओं का सुरक्षित तरीके से निस्तारण करना होगा, जिससे बीमारी न फैले। खेतों में सिल्ट जमा हो गई है, उसे हटाने की योजना बनानी होगी, ताकि अगली फसल पर संकट न रहे। चौहान ने कहा कि पंजाब की फसलों को बाढ़ से बचाने के लिए सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के किनारों पर बांध मजबूत और ऊंचे किए गए थे, लेकिन अवैध खनन के कारण वे कमजोर हो गए और गांवों में पानी आ गया। अब उन संरचनाओं को मजबूत करना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी से पंजाब को बचाया जा सके।
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