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काठमांडू । नेपाल की राजधानी काठमांडू में जेन जी आंदोलन के सामने आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। सोमवार आधीरात बाद लगभग एक बजे प्रतिबंधित अधिकांश सोशल मीडिया साइट्स फिर से चलने लगे। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने माना है कि सरकार नई पीढ़ी की भावना को समझाने में विफल रही। ओली ने कहा कि कल से किसी भी जेन जी के लिए सड़क पर आने की जरूरत नहीं है। इस बीच आंदोलन में मारे गए छात्रों की स्मृति में शैक्षणिक संस्थानों में दो दिन का शोक घोषित किया गया है।
आंदोलन से डरी सरकार ने देररात सोशल मीडिया साइट्स को चलाने के लिए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को मौखिक जानकारी दी। इसके कुछ देरबाद नेपाल में फेसबुक, फेसबुक मैसेंजर, व्हाट्स ऐप, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब चलने लगे। हालांकि सरकार ने प्रतिबंध हटाने की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की है। सरकार के प्रवक्ता, सूचना एवं संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कहा कि प्रतिबंध हटाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया मंगलवार से शुरू होगी। बताया गया है कि मंत्रालय ने सभी आईएसपी को सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने का मौखिक निर्देश दिया।
ओली ने आधीरात आंदोलनकारियों के नाम अपील जारी की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया चलाने के लिए कल से किसी भी जेन जी को सड़क पर आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने माना कि सरकार नई पीढ़ी की भावना को समझने में विफल रही। ओली ने कहा प्रदर्शनकारियों के घुसपैठ के कारण भयावह स्थिति आई। उन्होंने काठमांडू सहित देशभर में प्रदर्शनकारियों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सोशल मीडिया साइट्स पर लगाए गए प्रतिबंध के कारणों को हम समझाने में विफल रहे।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी नीयत कभी भी सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने या उसे पूरी तरीके से बंद करने की नहीं थी। प्रधानमंत्री ने घटना की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की है। इस बीच एनएमए, एपीईएन, हिसान, नेशनल पैब्सन और पैब्सन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर संयुक्त बयान में प्रदर्शनकारी छात्रों की मौत पर शोक जताते हुए 09 और 10 सितंबर को स्कूल बंद रखने की घोषणा की है। इन संघठनों ने दो दिन के शोक की घोषणा की है। इस संयुक्त बयान पर एनएमए अध्यक्ष पवित्रा लिम्बू, एपीईएन अध्यक्ष बद्री दहल, एचआईएसएसएएन के कार्यवाहक अध्यक्ष युबराज शर्मा, राष्ट्रीय पैब्सन अध्यक्ष सुभाष न्यूपाने और पैब्सन के अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद अधिकारी ने हस्ताक्षर किए हैं।
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