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प्रधानमंत्री ने मोहन भागवत को 75वें जन्मदिन पर दी शुभकामनाएं
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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत को उनके 75वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं और उन्हें राष्ट्र निर्माण में रत 'पारसमणि' बताते हुए कहा कि डॉ भागवत ने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलते हुए समाज को संगठित करने, समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। 


प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर जारी अपने संदेश में कहा कि मोहन भागवत जी ने “वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र से प्रेरित होकर समता, समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। उन्हाेंने कहा, “मैं मां भारती की सेवा में समर्पित मोहन भागवत जी के दीर्घ और स्वस्थ जीवन की पुनः कामना करता हूं। उन्हें जन्मदिवस पर अनेकानेक शुभकामनाएं।” 

 
प्रधानमंत्री ने इस बधाई संदेश के साथ नमो एप का एक लिंक और सरसंघचालक के साथ मुलाकात की अपनी कुछ तस्वीरों काे भी साझा किया। उन्हाेंने    कहा कि मां भारती की सेवा में सदैव तत्पर मोहन जी का जीवन सतत प्रेरणादायी है और वे समाज को एकजुट कर राष्ट्र को वैभव संपन्न बनाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं। मोदी ने प्रार्थना की कि ईश्वर उन्हें दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करे।

प्रधानमंत्री ने अपने इस विशेष संदेश की शुरुआत 11 सितंबर से जुड़ी तीन ऐतिहासिक स्मृतियों का उल्लेख कर की। उन्होंने कहा, "आज 11 सितंबर है। यह दिन अलग-अलग स्मृतियों से जुड़ा है। एक स्मृति 1893 की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्वबंधुत्व का संदेश दिया और दूसरी स्मृति है 9/11 का आतंकी हमला, जब विश्व बंधुत्व को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई। आज के दिन की एक और विशेष बात है। आज एक ऐसे व्यक्तित्व का 75वां जन्मदिवस है जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलते हुए समाज को संगठित करने, समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।"


प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि इस साल जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है, उसी वर्ष मोहन भागवत जी 75 वर्ष के हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अवसर पूरे संघ परिवार और राष्ट्र के लिए विशेष महत्व रखता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में मोहन भागवत के परिवार से अपने गहरे जुड़ाव का भी उल्लेख किया। मोदी ने कहा कि उन्हें मोहन जी के पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला था। मोदी ने अपनी पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ में मधुकरराव जी का विशेष उल्लेख किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मधुकरराव भागवत जीवनभर राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित रहे और उन्होंने अपने पुत्र मोहन जी को भी इसी दिशा में प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें पारसमणि बताते हुए कहा कि एक पारसमणि ने दूसरी पारसमणि गढ़ दी। 

प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तार से मोहन भागवत की जीवन यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भागवत जी 1970 के दशक में प्रचारक बने और उस समय कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोप रखा था। इस कठिन दौर में उन्होंने आपातकाल-विरोधी आंदोलन को मजबूत किया और ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में संघ कार्य को गति दी। 1990 के दशक में वे अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख बने और बिहार के गांवों में वर्षों तक समाज को सशक्त करने में लगे रहे। वर्ष 2000 में वे सरकार्यवाह बने और अपनी कार्यशैली से हर कठिन परिस्थिति को सहजता से संभाला। 2009 में उन्हें संघ का छठा सरसंघचालक चुना गया और तब से वे ऊर्जावान नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। भागवत जी ने राष्ट्र प्रथम की मूल विचारधारा को हमेशा सर्वोपरि रखा है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ की सौ साल की यात्रा में भागवत जी का कार्यकाल सर्वाधिक परिवर्तन का काल माना जाएगा। उनके नेतृत्व में गणवेश परिवर्तन, संघ शिक्षा वर्गों में बदलाव सहित कई अहम सुधार हुए। उन्होंने बदलते समय के अनुरूप संघ कार्य को अधिक प्रभावी और आधुनिक बनाने पर बल दिया।

मोदी ने भागवत जी के कोविड-19 काल में किए गए प्रयासों को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने कहा कि उस कठिन समय में उन्होंने स्वयंसेवकों को सुरक्षित रहते हुए समाजसेवा करने की दिशा दी और तकनीक के उपयोग पर जोर दिया। उनके मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों ने जरूरतमंदों तक हरसंभव मदद पहुंचाई, चिकित्सा शिविर लगाए और समाज की सेवा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मोहन भागवत जी ने समाज कल्याण के लिए संघ की शक्ति का लगातार उपयोग किया है। उन्होंने ‘पंच परिवर्तन’ का मार्ग प्रशस्त किया जिसमें स्व-बोध, सामाजिक समरसता, नागरिक शिष्टाचार, कुटुंब प्रबोधन और पर्यावरण जैसे सूत्रों पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि ये सूत्र हर भारतवासी को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भागवत जी का युवाओं से सहज जुड़ाव है और वे उन्हें संघ कार्य से जोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। वे संवादप्रिय, मृदुभाषी और संवेदनशील नेता हैं, जिनमें सुनने की अद्भुत क्षमता है। उनके नेतृत्व में संघ कार्य का निरंतर विस्तार हुआ है और संगठन ने समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मोदी ने कहा कि मोहन जी सदैव ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के पक्षधर रहे हैं। वे भारत की विविधता का सम्मान करते हैं और विभिन्न परंपराओं के उत्सव में शामिल होते हैं। उन्होंने संगीत, गायन और पठन-पाठन में उनकी रुचि का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “वैसे बहुत कम लोगों को ये पता है कि मोहन भागवत जी अपनी व्यस्तता के बीच संगीत और गायन में भी रुचि रखते है। वे विभिन्न भारतीय वाद्ययंत्रों में भी निपुण हैं। पठन-पाठन में उनकी रुचि, उनके अनेक भाषणों और संवादों में साफ दिखाई देती है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भागवत जी ने स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे राष्ट्रीय अभियानों में संघ परिवार को ऊर्जा भरने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, सतत जीवनशैली और आत्मनिर्भर भारत पर भी बल दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विजयादशमी पर जब संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा होगा, तो यह ऐतिहासिक संयोग होगा कि उसी दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी होगी। उन्होंने कहा कि भारत और विश्वभर के लाखों स्वयंसेवकों के लिए यह गर्व की बात है कि इस समय संगठन का नेतृत्व मोहन भागवत जैसे दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक कर रहे हैं।


मोदी ने कहा कि एक युवा स्वयंसेवक से लेकर सरसंघचालक तक की उनकी जीवन यात्रा उनकी निष्ठा और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है। विचार के प्रति पूर्ण समर्पण और व्यवस्थाओं में समयानुकूल परिवर्तन करते हुए उनके नेतृत्व में संघ कार्य का निरंतर विस्तार हो रहा है।

MadhyaBharat 11 September 2025

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