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राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान किए
new delhi, President presents ,National Geoscience Awards

नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को भूविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 2024 प्रदान किए।


राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि खनिजों ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धरती के गर्भ में विद्यमान खनिज पदार्थों ने मानव जीवन को आधार दिया है और हमारे व्यापार एवं उद्योग को आकार दिया है। पाषाण युग, कांस्य युग और लौह युग- मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख चरणों के नाम खनिजों के नाम पर रखे गए हैं। लोहा और कोयला जैसे खनिज पदार्थों के बिना औद्योगीकरण अकल्पनीय होता।


राष्ट्रपति ने कहा कि खनन आर्थिक विकास के लिए संसाधन प्रदान करता है और रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करता है। हालांकि, इस उद्योग के कई प्रतिकूल प्रभाव भी हैं, जिनमें स्थानीय निवासियों का विस्थापन, जंगल का उजड़ना, वायु एवं जल प्रदूषण जैसे कई दुष्प्रभाव भी होते हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए खनन प्रक्रिया के दौरान सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। खदानों को बंद करते समय भी उचित प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्थानीय निवासियों और वन्यजीवों को कोई नुकसान न हो।


राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारा देश तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है। इन महासागरों की गहराई में कई मूल्यवान खनिज तत्वों के भंडार हैं। भूवैज्ञानिक राष्ट्र के विकास के लिए इन संसाधनों के उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने भूवैज्ञानिकों से ऐसी तकनीकें विकसित करने का आग्रह किया जो समुद्री जैव विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए राष्ट्र के लाभ के लिए समुद्र तल के नीचे के संसाधनों का दोहन कर सकें।


राष्ट्रपति ने कहा कि भूवैज्ञानिकों की भूमिका खनन तक सीमित नहीं है। उन्हें भू-पर्यावरणीय स्थिरता पर खनन के प्रभाव पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। खनिज उत्पादों के मूल्यवर्धन और अपव्यय को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का विकास और उपयोग आवश्यक है। यह सतत खनिज विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि खान मंत्रालय स्थिरता और नवाचार के लिए प्रतिबद्ध है और खनन उद्योग में एआई, मशीन लर्निंग और ड्रोन-आधारित सर्वेक्षणों को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने खदानों से निकलने वाले अवशेषों से मूल्यवान तत्वों की प्राप्ति के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की।


राष्ट्रपति ने कहा कि दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई) आधुनिक तकनीक की रीढ़ हैं। ये स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रक्षा प्रणालियों और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों तक हर चीज़ को शक्ति प्रदान करते हैं। वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए भारत को इनके उत्पादन में आत्मनिर्भर होना होगा। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुर्लभ मृदा तत्वों को इसलिए दुर्लभ नहीं माना जाता क्योंकि वे दुर्लभ हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें परिष्कृत करके उपयोगी बनाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। उन्होंने कहा कि इस जटिल प्रक्रिया को पूरा करने के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित करना राष्ट्रीय हित में एक बड़ा योगदान होगा।

MadhyaBharat 26 September 2025

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