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अनूपपुर । माँ नर्मदा की पावन जन्मस्थली प्राकृतिक वैभव और आध्यात्मिक आस्था से सराबोर विश्वविख्यात मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित पवित्र नगरी अमरकंटक इन दिनों मौसम की अनूठी करवट का साक्षी बन रही है। बीते चार दिनों से लगातार हो रही झमाझम बारिश ने पूरे क्षेत्र को भिगो रहा है। 26-27 सितंबर की रात्रि से शुरू हुई मूसलधार बारिश से जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले के वातावरण को और भी शीतल बना दिया। जो रविवार को भी रूक-रूक के हो रहीं हैं। वही यह दृश्य पर्यटकों के लिए मानो स्वर्ग जैसा लग रहा है। घने कोहरे से पूरा मंदिर प्रांगण दिखाई नहीं दे रहा है फिर भी श्रद्धालुओं की आस्था को कम नहीं पा रही है।
पवित्र नगरी अमरकंटक में सुबह-शाम कोहरे की घनी परत पूरे नगर पर अपनी चादर तान लेती है, तब अमरकंटक का दृश्य किसी अलौकिक धरा से कम प्रतीत नहीं होता। परंतु इस सौंदर्य के साथ कठिनाई भी जुड़ी है। दृश्यता घटने के कारण आवागमन प्रभावित हो रहा है। स्थानीय नागरिकों और दर्शनार्थियों को सफर में परेशानी उठानी पड़ रही है। वर्षा और कोहरे का प्रभाव विद्युत व्यवस्था पर भी असर पड़ा हैं। बिजली कभी आती है, तो कभी अचानक गुल हो जाती है। मानो बादलों की गर्जना और बिजली की आँख–मिचौली मिलकर लोगों की धैर्य परीक्षा ले रही हो।
मौसम वैज्ञानिकों ने पूर्व में ही चेताया था कि वायुमंडल में बने कम दबाव का क्षेत्र 28 सितंबर तक अच्छी-खासी वर्षा ला सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए येलो अलर्ट जारी किया गया था। विभाग की भविष्यवाणी अब शत-प्रतिशत सच साबित हो रही है। अमरकंटक ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र भी निरंतर भारी बारिश से तरबतर हो चुके हैं। यद्यपि लगातार वर्षा और कोहरे ने तापमान को गिराकर उमस भरे मौसम से लोगों को राहत प्रदान की है, किंतु शारदीय नवरात्रि महापर्व के आयोजन और धार्मिक कार्यक्रम प्रभावित हुए बिना नहीं रहे। जिले भर के मंदिरों के प्रांगणों और देवी मंडपों में श्रद्धालुओं की आस्था बरसते मेघों के बीच भी अडिग है। नर्मदा तट पर गूंजते भजनों और पूजन-अर्चन के बीच श्रद्धालुओं का उत्साह इस बात का प्रतीक है कि चाहे मौसम जैसा भी हो, भक्ति की धारा अविरल बहती रहती है।
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