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संकट के समय और भी संगठित होता है भारतः मोहन भागवत
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नागपुर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि देश की एकता का भाव सर्वसमावेशक है और यही हमारी पहचान है। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है, परंतु समाज, देश और संस्कृति के स्तर पर हम सब एक हैं।
 
डॉ. भागवत यहां के रेशिमबाग मैदान में संघ की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित विजयादशमी उत्सव को संबोधित कर रहे थे। मंच पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रांत संघचालक दीपक तामशेट्टीवार और नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया प्रमुख रूप से उपस्थित थे। संघ प्रमुख ने हाल ही में हुए पहलगाम हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज में दुःख और आक्रोश की लहर थी, परंतु सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया और समाज की एकता से यह साबित हुआ कि भारत संकट के समय और भी अधिक संगठित होता है।
 
डॉ. भागवत ने कहा कि भारत की एकात्म दृष्टि ही विश्व को समस्याओं का शाश्वत समाधान दे सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य बदलते रहते हैं पर राष्ट्र सदा रहता है। हमें अपनी एकता के आधार को कभी नहीं भूलना चाहिए। वैश्विक परिस्थितियों का हवाला देते हुए डॉ. भागवत ने आत्मनिर्भरता को समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया परस्पर निर्भरता से चलती है, लेकिन हमें मजबूरी नहीं, विकल्प के रूप में आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए स्वदेशी और स्वावलंबन ही एकमात्र मार्ग है।
 
उन्होंने समाज में संघ कार्य के प्रति बढ़ती जागरूकता और सहभागिता की सराहना की। उन्होंने बताया कि नई पीढ़ी में देशभक्ति और संस्कृति के प्रति आस्था निरंतर बढ़ रही है। सामाजिक संस्थाएं और अनेक व्यक्ति सेवाकार्य में आगे आ रहे हैं। संघ प्रमुख ने शाखाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि शाखाएं समाज में सद्गुण और सामूहिकता का वातावरण बनाती हैं। स्वयंसेवक शाखा के माध्यम से अपने आचरण में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं, यही संघ की आत्मा है।
 
उल्लेखनीय है कि संघ अपनी स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस कारण संघ के स्वयंसेवकों के लिए यह विजयादशमी उत्सव विशेष महत्व रखता है। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के ही दिन 27 सिंतबर 1925 को नागपुर में संघ की स्थापना की थी।
MadhyaBharat 2 October 2025

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